सुबह सुबह आज भी
सुनाई दिया जो
रोज सुनाई देता था
आप सोच रहे होंगे
अलार्म जी नहीं
उसकी जरूरत
उनको पड़ती है
जिनको साउंड स्लीप
रोज आती है
किसी भी बात की
चिंता जिन्हे कभी
नहीं सताती है
अपने यहाँ नींंद
उस समय ही
खुल पाती है
जब एक आवाज
कुछ देर हल्की
फिर होते होते
तेज हो जाती है
दूध नहीं लाना है आज
तब महसूस होता है
क्यों दूध भी नल
में नहीं आता है
पानी मिला हुआ
ही तो होता है
पानी के नल में ही
क्यों नहीं दे
दिया जाता है
बाकी सब वही
होना था रोज रोज
का जैसा रोना था
बस ग्यारा बजे
सायरन मेरे शहर में
आज कुछ नया
सा जब बज उठा था
पहले लगा कहीं
आग लग गई होगी
फिर पुराना दिमाग
सोता हुआ सा
कुछ कुछ जगा था
आज की तारीख
पर ही तो कभी
गांंधी मारा गया था
देश के द्वारा
हर साल इसी दिन
मौन रख रख कर
उसका एहसान
उतारा गया था
कितनी किश्ते
बचीं हैं अभी तक
बताया नहीं गया था
क्या पता कुछ
ब्याज जोड़ कर
कुछ और वर्षों के
लिये सरकाया गया था
दो मिनट बाद
फिर बजा साईरन
मेरा शहर उठा उठा
एक साल के लिये
फिर से सो गया था
और मैं भी उठा
दूध की बाल्टी
पकड़ कर घर की
सीढ़ियांं उतरना
शुरु हो गया था ।
सुनाई दिया जो
रोज सुनाई देता था
आप सोच रहे होंगे
अलार्म जी नहीं
उसकी जरूरत
उनको पड़ती है
जिनको साउंड स्लीप
रोज आती है
किसी भी बात की
चिंता जिन्हे कभी
नहीं सताती है
अपने यहाँ नींंद
उस समय ही
खुल पाती है
जब एक आवाज
कुछ देर हल्की
फिर होते होते
तेज हो जाती है
दूध नहीं लाना है आज
तब महसूस होता है
क्यों दूध भी नल
में नहीं आता है
पानी मिला हुआ
ही तो होता है
पानी के नल में ही
क्यों नहीं दे
दिया जाता है
बाकी सब वही
होना था रोज रोज
का जैसा रोना था
बस ग्यारा बजे
सायरन मेरे शहर में
आज कुछ नया
सा जब बज उठा था
पहले लगा कहीं
आग लग गई होगी
फिर पुराना दिमाग
सोता हुआ सा
कुछ कुछ जगा था
आज की तारीख
पर ही तो कभी
गांंधी मारा गया था
देश के द्वारा
हर साल इसी दिन
मौन रख रख कर
उसका एहसान
उतारा गया था
कितनी किश्ते
बचीं हैं अभी तक
बताया नहीं गया था
क्या पता कुछ
ब्याज जोड़ कर
कुछ और वर्षों के
लिये सरकाया गया था
दो मिनट बाद
फिर बजा साईरन
मेरा शहर उठा उठा
एक साल के लिये
फिर से सो गया था
और मैं भी उठा
दूध की बाल्टी
पकड़ कर घर की
सीढ़ियांं उतरना
शुरु हो गया था ।
अब तो ये सब एक दिखावा भर है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (1-2-2014) "मधुमास" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1510 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
सरल शब्दों में गहरा कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंपानी मिला हुआ
जवाब देंहटाएंही तो होता है
पानी के नल में ही
क्यों नहीं दे
दिया जाता है
बाकी सब वही
होना था रोज रोज
का जैसा रोना था
सुन्दर परिकल्पना है बढ़िया रचना
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं