इन दिनों
कई दिन से
एक के बाद एक
सारे जानवर
याद आ जा रहे हैं
किसी को कुछ
किसी को कुछ
बना कर भी
दिखा जा रहे हैं
शेर चीते बाघ हाथी
मौज कर रहे हैं
छोटे मोटे जानवरों
के लिये पैक्ड लंच
का इंतजाम
घर में बैठे बैठे
करवा रहे हैं
आदमी की बात
फिर कभी कर लेंगे
आदमी कौन सा
हमेशा के लिये
जंगल को चले
जा रहे हैं
कुत्ते खुद तो
भौंक ही रहे हैं
सियारों से भी
भौंकने की अपेक्षा
रखते हैं जैसा ही
कुछ दिखा रहे हैं
अब कौन कहे
भाईयों से
भौंकने से क्या
किसी ने उनको
कहीं रोका है
भौंकते रहें
अपने लिये तो
रोज भौंक लेते हैं
इसके लिये भी भौंकें
उसके लिये भी भौंकें
लेकिन बहुत ही
गलत बात है
सियारों को तो
कम से कम
इस तरह से ना टोकें
वैसे तो सियार
और कुत्तों में
कोई बहुत ज्यादा
फर्क नजर
नहीं आता है
अच्छी तरह से
पढ़ाया लिखाया
सियार भी
कुछ समय में
एक कुत्ते जैसा
ही हो जाता है
पर समय
तो मिलना
ही चाहिये
कोई जल्दी
तो कोई
थोड़ी देर में
सभ्य हो पाता है
पता है तुमको
बहुत अच्छा
पूँछ हिलाना
भी आता है
जब
तुमको कोई
नहीं रोक रहा
किसी के लिये
पूँछ हिलाने पर
तो किसी
और का
किसी और
के लिये
मिमियाने
और
टिटियाने से
तुम्हें
क्या हो जाता है
जब
कोई सियार
तुमको कभी
मत भौंको
कहने के लिये
नहीं आता है
संविधान
के होते हुऐ
किस हैसियत से
तुमसे सियारों के
ना भौंकने पर
जबरदस्त रोष
किया जाता है
‘उलूक’
इसीलिये तो
हमेशा ही
ऐसे समय में
चोंच ऊपर कर
आसमान की ओर
देखना शुरु हो जाता है ।
कई दिन से
एक के बाद एक
सारे जानवर
याद आ जा रहे हैं
किसी को कुछ
किसी को कुछ
बना कर भी
दिखा जा रहे हैं
शेर चीते बाघ हाथी
मौज कर रहे हैं
छोटे मोटे जानवरों
के लिये पैक्ड लंच
का इंतजाम
घर में बैठे बैठे
करवा रहे हैं
आदमी की बात
फिर कभी कर लेंगे
आदमी कौन सा
हमेशा के लिये
जंगल को चले
जा रहे हैं
कुत्ते खुद तो
भौंक ही रहे हैं
सियारों से भी
भौंकने की अपेक्षा
रखते हैं जैसा ही
कुछ दिखा रहे हैं
अब कौन कहे
भाईयों से
भौंकने से क्या
किसी ने उनको
कहीं रोका है
भौंकते रहें
अपने लिये तो
रोज भौंक लेते हैं
इसके लिये भी भौंकें
उसके लिये भी भौंकें
लेकिन बहुत ही
गलत बात है
सियारों को तो
कम से कम
इस तरह से ना टोकें
वैसे तो सियार
और कुत्तों में
कोई बहुत ज्यादा
फर्क नजर
नहीं आता है
अच्छी तरह से
पढ़ाया लिखाया
सियार भी
कुछ समय में
एक कुत्ते जैसा
ही हो जाता है
पर समय
तो मिलना
ही चाहिये
कोई जल्दी
तो कोई
थोड़ी देर में
सभ्य हो पाता है
पता है तुमको
बहुत अच्छा
पूँछ हिलाना
भी आता है
जब
तुमको कोई
नहीं रोक रहा
किसी के लिये
पूँछ हिलाने पर
तो किसी
और का
किसी और
के लिये
मिमियाने
और
टिटियाने से
तुम्हें
क्या हो जाता है
जब
कोई सियार
तुमको कभी
मत भौंको
कहने के लिये
नहीं आता है
संविधान
के होते हुऐ
किस हैसियत से
तुमसे सियारों के
ना भौंकने पर
जबरदस्त रोष
किया जाता है
‘उलूक’
इसीलिये तो
हमेशा ही
ऐसे समय में
चोंच ऊपर कर
आसमान की ओर
देखना शुरु हो जाता है ।