उलूक टाइम्स: सीधा साधा एक लड़का था कभी मेरे स्कूल में भी पढ़ता था

रविवार, 25 अगस्त 2013

सीधा साधा एक लड़का था कभी मेरे स्कूल में भी पढ़ता था

पक्ष की कर 
नहीं तो विपक्ष
की ही कर
सरकार की कर
नहीं तो उसके
ही किसी एक
अखबार की कर
बात करनी है
तुझे अगर कुछ
तो इनमें से किसी
एक के ही
कारोबार की कर
किसने कहा था
गाँव के स्कूल को
छोड़ के बड़े
शहर के बड़े
स्कूल में चला जा
चला भी गया था
तो किसने कहा था
गाँव की ढपली वहाँ
जा कर बजा जा
अब भुगत
घर की पुलिस नहीं
बड़े शहर की
पुलिस ने भी नहीं
देश की पुलिस ने
पकड़ कर अंदर
तुझे करा दिया
सारे के सारे
अखबारों में फोटो
छाप के तुझे एक
माओवादी बता दिया
समझा ही नहीं
इतने साल मेरे
स्कूल में रहकर भी
अरे कांग्रेसी
ही हो जाता
नहीं हो पा
रहा था तो
भाजपा में
ही चला जाता
अब ना
इधर का रहा
ना उधर का रहा
बिना बात के
अंदर को जा रहा 
इधर होता
या उधर होता
कभी तो
तेरे पास भी
कोई पोर्टफोलियो
एक जरूर होता
अभी भी समय है
सुधर जा
अधिसंख्यक
चल रहे हैं
जिन रास्तों पर
उन रास्तों में
चलना शुरु हो जा
जो नियम ज्यादा
लोगों की जेब में
देखे जाते हैं
वो ही भगवान जी
तक के द्वारा भी
फौलो किये जाते हैं
इसकी भी हाँ
में हाँ मिला
उसकी भी हाँ
में हाँ मिला
अब जेल भी
चला गया
और बोलेगा
तमगा भी
कोई नहीं
मिलेगा
पक्ष या
विपक्ष के
लिये जेल 

जाता तो
राजनीतिक कैदी
एक हो जाता
क्या पता 

किसी दिन
कोई मंत्री संत्री
बनने का मौका भी
जेल के सार्टिफिकेट
से तू पा जाता
मेरे स्कूल में इतने
साल तू पढ़ा पर
हेम तूने गुरुओं से
इतना भी नहीं सीखा । 


12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - सोमवार- 26/08/2013 को
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः6 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra

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  2. उचित सलाह-
    बेचारा-
    आभार आदरणीय-

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  3. उत्तर
    1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति! हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} की पहली चर्चा हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001 में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar

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  4. बहुत बढ़िया।
    सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए धन्यवाद।

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (26-08-2013) को सुनो गुज़ारिश बाँकेबिहारी :चर्चामंच 1349में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. पथरीली राह पे कंकड़ होते ही हैं ...

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  7. ... पर हमारे बुज़ुर्गों ने "सत्यमेव जयते" का उद्घोष किया है।

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  8. कांटों पे चलके ही मिलती है सच की मंजिल ।

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