उलूक टाइम्स: मत बताना नहीं मानेंगे अगर कहेगा ये सब तू ही कह रहा था

सोमवार, 25 नवंबर 2013

मत बताना नहीं मानेंगे अगर कहेगा ये सब तू ही कह रहा था

पिछले
दो दिन 
से यहाँ दिखाई
नही दे रहा था

पता नहीं
कहाँ 
जा कर
किस को 
गोली
दे रहा था


खण्डहर में
उजाला 
नहीं
हो रहा था


दिये में बाती

दिख रही थी
तेल पता नहीं
कौन आ कर
पी रहा था

आसमान
नापने 
का
ठेका कहीं

हो रहा था

खबर सच है

या झूठ मूठ  
पता करने
के लिये

उछल उछल
कर 
कुँऐ की
मुंडेर 
छू रहा था

बाहर के उजाले

का क्या कहने
हर काला भी
चमकता हुआ
सफेद हो रहा था

किसी के आँखों में

सो रहे थे सपने
कोई सपने सस्ते 
में बेच कर भी
अमीर हो रहा था

सोच क्यों नहीं

लेता पहले से 
कुछ ‘उलूक
अपने कोटर से
बाहर निकलने
से पहले कभी

अपने और
अपनो के
अंधेरों में
तैरने के आदी
मंजूर नहीं करेंगे

सुबह होती
दिख रही थी कहीं
बहुत नजदीक से

और
वाकई में तू
देख रहा था

और
तुझे सब कुछ
साफ और
बहुत साफ
दिन के
उजाले सा
दिखाई भी
दे रहा था ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. लो आ गया मैं ...
    मंगलकामनाएं आपको !

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार को (26-11-2013) "ब्लॉगरों के लिए उपयोगी" ---१४४२ खुद का कुछ भी नहीं में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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