उलूक टाइम्स: चल शुरू हो जा

बुधवार, 29 मार्च 2017

चल शुरू हो जा


लिखना जरूरी है
पढ़ने वालों के लिये मत रुक ना
लिख कुछ भी
काम तमाम कर ना
चल शुरू हो जा

जाड़े निकल चुके हैं गरमी शुरु हो चुकी है
अब फैल कर लिख ना 
चल शुरू हो जा

जितना सिकुड़ना था जिसको
वो सिकुड़ चुका है
जितना उखड़ना था जिसको
वो उखड़ चुका है

मन करता है तेरा उड़ने का
तो किसने रोका है उड़ ना
चल शुरू हो जा

सबके वो पहुँच चुके हैं वहाँ
जहाँ पहुँचना था उनको 
अब किसका क्या होगा
खाली पीली में गिनती मत गिन ना

सपने उनके तुझे देखने हैं किसलिये
दिन में तारे गिन ना
चल शुरू हो जा

सबकी अपनी ढपली है सबके अपने राग हैं 
किसी को लगती है मिर्ची
किसी को लगती आग है
सारे ठंडे कूल कूलों को गिन ना
चल शुरू हो जा

कुछ कर मत 
बस पूरे दिन
सुबह से लेकर शाम तक
जप मंत्र किसी मनुष्य के
वीडियो बना कर फेस बुक में डाल कर
लाईक गिन ना
चल शुरू हो जा

विद्वानों को सलाम कर
मूर्खों का कत्ले आम कर
जरूरी होता है देखना प्रमाणपत्र विद्वता का
किसने दिया होता है रहने दे ना
अपना काम कर
मूर्ख बनने का अपना मजा है बन ना
चल शुरू हो जा

बहुत कुछ समझाते हैं बहुत कुछ
बहुत जगह पर बहुत सारे लोग 
अपनी अपनी खुजली
सबको खुजलानी होती है
तू भी अपनी खुजला अपना काम कर ना
चल शुरू हो जा ।

चित्र साभार: http://www.clipartkid.com/owl-writing-clipart-writing-owl-teacher-DiXTNs-clipart/

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 09 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. उलूक अगर कुर्सी पर बिठाने की गारंटी देगा तो हम शुरू हो जाएँगे.

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  3. विद्वानों को सलाम कर
    मूर्खों का कत्ले आम कर
    जरूरी होता है देखना प्रमाणपत्र विद्वता का
    किसने दिया होता है रहने दे ना
    अपना काम कर
    मूर्ख बनने का अपना मजा है बन ना
    चल शुरू हो जा.....
    बेहतरीन रचना 🙏

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