उलूक टाइम्स: इंडिया
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बुधवार, 25 जून 2014

यूस एंड थ्रो करना आना भी बहुत बड़ी बात होता है

खुद के
खुद से
उलझने से
पैदा हुई

उलझनो में
उलझने से
बेहतर होता है

दूसरे की
उलझनों में
खुद जाकर
उलझ लेना

किसी से
खुद का
कुछ
खुद कभी
नहीं सुलझता है

उलझना
उलझनो का
उलझनो से

बहुत पुरानी
उलझन होती है

नये जमाने
के लोग
आदी
होने लगे हैं
यूज एण्ड थ्रो के

और
सबसे
अच्छी स्थिति

किसी
और की
उलझन में
उलझ कर

समझ में
जितना
आ सके
समझ
लेना होता है

करना
कुछ नहीं
होता है

उसकी
उलझन को
उसी को

बहुत
अच्छी
तरह से
समझा कर

किनारे से
निकल लेना
होता है

अपनी
उलझनों को
थ्रो करते हुऐ

दूसरे की
उलझनो को
लपक लपक कर

यूज कर लेना ही
यूज एंड थ्रो
करना होता है

उलझनो को
अपनी जगह
उलझते
रहना होता है

सुलझने
के लिये
कहीं कुछ
नहीं होता है

‘उलूक’
इसके बाद
किसने किस से
कहना होता है

उलझनों को
सुलझाने में
किसी का दिमाग
भी खराब होता है

हर चीज पर
मेड इन इंडिया
लिखा ही हो
जरूरी नहीं होता है

पड़ौसी देश
चीन से
आजकल
बहुत कुछ

इस
तरह का ही
इसी लिये
बहुतायत में
आयात होता है ।