आयेंगे
उजले दिन
जरुर आएँगे
उदासी दूर
कर खुशी
खींच लायेंगे
कहीं से भी
अभी नहीं
भी सही
कभी भी
अंधेरे समय के
उजली उम्मीदों
के कवि की
उम्मीदें
उसकी अपनी नहीं
निराशाओं से
घिरे हुओं के
लिये आशाओं की
उसकी अपनी
बैचेनी की नहीं
हर बैचेन की
बैचेनी की
निर्वात पैदा
ही नहीं होने
देती हैं
कुछ हवायें
फिजा से
कुछ इस तरह
से चल देती हैं
हौले से जगाते
हुऐ आत्मविश्वास
भरोसा टूटता
नहीं है जरा भी
झूठ के अच्छे
समय के झाँसों
में आकर भी
कलम एक की
बंट जाती है
एक हाथ से
कई सारी
अनगिनत होकर
कई कई हाथों में
साथी होते नहीं
साथी दिखते नहीं
पर समझ में
आती है थोड़ी बहुत
किसी के साथ
चलने की बात
साथी को
पुकारते हुऐ
मशालें बुझते
बुझते जलना
शुरु हो जाती हैं
जिंदगी हार जाती है
जैसा महसूस होने
से पहले लिखने
लगते हैं लोग
थोड़ा थोड़ा उम्मीदें
कागजों के कोने
से कुछ इधर
कुछ उधर
बहुत नजदीक
पर ना सही
दूर कहीं भी ।
चित्र साभार: www.clker.com
उजले दिन
जरुर आएँगे
उदासी दूर
कर खुशी
खींच लायेंगे
कहीं से भी
अभी नहीं
भी सही
कभी भी
अंधेरे समय के
उजली उम्मीदों
के कवि की
उम्मीदें
उसकी अपनी नहीं
निराशाओं से
घिरे हुओं के
लिये आशाओं की
उसकी अपनी
बैचेनी की नहीं
हर बैचेन की
बैचेनी की
निर्वात पैदा
ही नहीं होने
देती हैं
कुछ हवायें
फिजा से
कुछ इस तरह
से चल देती हैं
हौले से जगाते
हुऐ आत्मविश्वास
भरोसा टूटता
नहीं है जरा भी
झूठ के अच्छे
समय के झाँसों
में आकर भी
कलम एक की
बंट जाती है
एक हाथ से
कई सारी
अनगिनत होकर
कई कई हाथों में
साथी होते नहीं
साथी दिखते नहीं
पर समझ में
आती है थोड़ी बहुत
किसी के साथ
चलने की बात
साथी को
पुकारते हुऐ
मशालें बुझते
बुझते जलना
शुरु हो जाती हैं
जिंदगी हार जाती है
जैसा महसूस होने
से पहले लिखने
लगते हैं लोग
थोड़ा थोड़ा उम्मीदें
कागजों के कोने
से कुछ इधर
कुछ उधर
बहुत नजदीक
पर ना सही
दूर कहीं भी ।
चित्र साभार: www.clker.com