उलूक टाइम्स: कबाब
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बुधवार, 13 अप्रैल 2016

दूर कहीं जा अपने घर से जिसके भी घर जितना चाहे खेल कबड्डी

कौन
देख रहा
किस ब्रांड की
किसकी चड्डी

रहने दे
खुश रह
दूर कहीं
अपने घर
से जाकर

जितना
मन चाहे
खेल कबड कबड्डी

अपने
घर की
रेलमपेल

खेलने वाले
तेरे ही अपने
उनके खेल
तेरे ही खेल

मत बन
अपने ही
घर के
अपनों के

कबाब की
खुद ही तू हड्डी

दूर कहीं
अपने घर
से जाकर
जितना मन चाहे
खेल कबड कबड्डी

खबर छाप
फोटो खींच

दिखा दूर
कहीं जंगल में
जहरीला सांप

घर में बैठा
एक नहीं
हर कोई
लागे जब

अपना ही
मुहँबोला बाप

बातें सुन
घर की घर में
बड्डी बड्डी

मत कर
ताँक झाँक
रहने दे
झपट्टा झपट्टी

मालूम होता
है खुद का
खुद को

सब कुछ
कहाँ से

कितनी
अंदर की

कहाँ से
कहाँ तक
फटी हुई है
अपनी खुद
की ही चड्डी

दूर कहीं
अपने घर से
जाकर
जितना मन चाहे
खेल कबड कबड्डी

लेकर हड्डी
दूर निकल कर

बहुत
दूर से
नहीं नजर
पड़े जहाँ से
अपने घर की
शराब की भड्डी

इसके उसके
सबके घर में

जा जा कर
झंडे लहराकर

सबको समझा
इसके उसके
घर की
फड्डा फड्डी

दूर कहीं
अपने घर से
जाकर
जितना मन चाहे
खेल कबड कबड्डी ।

चित्र साभार: www.vidhyalya.in