उलूक टाइम्स: कसमसाहट
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बुधवार, 18 जुलाई 2012

उस समय और इस समय और दिल

पहलू
और उसपर
दिल का होना

पता
चल जाता है

जिस दिन से
शुरू हो जाती है
कसमसाहट

हमारे पुराने
जमाने में भी
कोई नया जो
क्या होता था

ऎसा ही होता था

पर थोड़ा सा
परदे में होता था

स्टेज एक में
धक धक करने
लगता था

स्टेज दो में
उछलने लगता था

स्टेज तीन में
किसी के कंट्रोल
में चला जाता था

स्टेज चार में
भजन गाना शुरु
हो जाता था

अब तो डरता
भी नहीं है
बस लटक जाता है

बहुत
मजबूती से
बाहर से ही
दिखाई
देता है कि है

स्टेज वैसे ही
एक से चार
ही हो रही हैं

गजब का स्टेमिना है

चौथे में जाकर
भी बहार हो रही है

इस जमाने के
कर रहे हों तो
अजूबा सा नहीं लगता

हमारे जमाने के
कुछ कुछ में
हलचल
लगातार हो रही है

ऎ छोटे से
खिलौने
मान जा
इतनी सी
शराफत
तो दिखा जा

पुराने
जमाने के
अपने भाई बहनों
को थोड़ा समझा जा

अभी भी कटेगा
तो कुछ हाथ नहीं
किसी के आयेगा

फिर से उसी बात
को दोहराया जायेगा

कतरा ए खून
ही गिरेगा
वो भी किसी के
काम में नहीं आयेगा

दिल है तो क्या
गुण्डा गर्दी पर
उतर जायेगा।