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गुरुवार, 12 सितंबर 2013

प्रकृति विकेंद्रीकरण सीख



हे प्रकृति

छोटी धाराओं को 
तू कब तक
यूं ही 
मिलाते ही चली जायेगी

लम्बी थकाने वाली
दूरी 
चला चला कर
समुद्र में 
डाल कर के आयेगी

कुछ सबक
आदमी से भी 
कभी
सीखने के लिये 
अगर आ जायेगी

तेरी
बहुत सी परेशानियां 
चुटकी में दूर हो जायेंगी

आदमी
कभी बड़ी चीज 
को
बड़ा बनाने के लिये 
नहीं कहीं जाता
अपने लिये
खुद ही किसी 
आफत को नहीं बुलाता

तेरी जगह
अगर 
इसी काम का ठेका वो पा जाता
तो 
धाराओं को थोड़ी देर को रुकने के लिये 
बोल कर आता

इसी बीच
समुद्र को भी 
जाकर कुछ समझा आता
उसके
बड़े होते जाने के 
नुकसान
उसको 
सारे के सारे गिनाता

ये भी साथ में बताता
बड़ी चीज को संभालना 
बहुत ही मुश्किल
आगे 
जा कर कभी है हो जाता

समुद्र को
छोटे छोटे कुओं में 
इस तरह से बंटवाता

हर कुंऐ में 
एक मेंढक को
बुला कर के बैठाता

जब समुद्र 
समुद्र ही नहीं रह जाता

तब लौट कर 
धाराओं के सामने आकर
थोड़े से
आंसू कुछ बहाता

फिर किसी दिन 
साथ ले चलने का एक वादा 
बस कर के आता
टी ए डी ए का एक और मौका 
बनाता

और
आपदा आने पर भी 

तेरी तरह
आदमी की 
गाली नहीं खाता
वहां पर भी
कुछ 
पैसे बना ले जाता

हे प्रकृति

तेरी 
समझ में
ये 
क्यों नहीं आ पाता

धाराओं को मिलाने 
से
तुझे क्या 
है मिल जाता ।

चित्र साभार: www.uniworldnews.org