उलूक टाइम्स: गठबंधन
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शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

मजबूत बंधन के लिये गठबंधन की दरकार होती है


कठिन नहीं बहुत आसान होता है
बंधन बहुत छोटा 
और गठबंधन आसमान होता है 

गठबंधन नहीं होता है जहाँ 
अंदर अंदर ही घमासान होता है

बंधन होने से कहीं भी 
बंधने वाला बहुत परेशान होता है 
मोटी रस्सी में बंधी छटपटाती 
एक छोटी सी जान होता है

गठबंधन होने से 
सभी का जीना आसान होता है
कई जिस्म होते हैं कई जाने होती हैं 
पता कहाँ चलता है कहाँ दीन कहाँ ईमान होता है 

भूल जाता है हमेशा 
घर में भी तो होता है और यही होता है 
आज से नहीं कई जन्मों से होता है

माँ का बाप से बच्चों का माँ बाप से 
पति का पत्नी से होता है 

बंधन से शुरु होता है 
चलता है बहुत धीमे धीमे 
गठबंधन होते ही वही सब कुछ 
दौड़ने के लिये तैयार होता है 

क्या होता है अगर धर्म का धर्म से नहीं होता है 
दिखाये भी कोई दिखावे के लिये 
तब भी बहुत कमजोर होता है 

क्या होता है अगर अधर्म का अधर्म से होता है 
और बहुत मजबूत होता है 

कैसा होगा 
पहले से कहाँ महसूस होता है 

शादी होने के बाद देखा जाये अगर 
ज्यादातर शुरु होता है 

बंधन होने से ही कुछ नहीं होता है 
जब तक गठबंधन नहीं होता है 

फिर गठबंधन से एक सरकार बनती 
देख कर ‘उलूक’ क्यों तुझे कंफ्यूजन होता है 

गठबंधन के लिये दिया गया जनादेश 
नीचे से नहीं कहीं उपर से 
दिये आदेश का प्रकार होता है 

ईश्वर और अल्लाह की 
एक नहीं कई बैठकों के बाद निकला 
सरकार बनाने का आदेश 
सबसे जानदार होता है

ऊपर की बड़ी बातों को 
छोटी नजर से देखने वाले का 
मुहँ काला और नजरिया बेकार होता है 

बंधन हमेशा कमजोर और गठबंधन
हमेशा 
जोरदार होता है ।

चित्र साभार: www.clipartpanda.com