उलूक टाइम्स: नासमझ
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रविवार, 30 अक्तूबर 2011

नासमझ

कहाँ पता
चल पाता है
आदमी को

कि वो
एक माला
पहने हुवे
फोटो हो
जाता है

अगरबत्ती
की खुश्बू
भी कहां आ
पाती है उसे

तीन पीढ़ियों
के चित्र
दिखाई देते हैं
सामने
कानस में
धूल झाड़ने
के लिये
दीपावली से
एक दिन पहले

चौथी पीढ़ी
का चित्र
वहां नहीं
दिखता
शायद मिटा
चुका होगा
सिल्वर फिश
की भूख

गद्दाफी को
क्रूरता से
नंगा कर
नाले में
दी गयी मौत
कोल्ड स्टोरेज
में रखा
उसका शव
भी नहीं देख
पाया होगा
वो अकूत
संपत्ति जो
अगली
सात पीढ़ियों
के लिये भी
कम होती

पर बगल में
पड़ा
उसके बेटे
का शव भी
खिलखिला
के हँसता
रहा होगा
शायद

कौन
बेवकूफ
समझना
चाहता है
ये सब
कहानियां

रोज
शामिल
होता है
एक शव
यात्रा में
लौटते
लौटते
उसे याद
आने
लगती है
जीवन बीमा
की किस्त ।