उलूक टाइम्स: फट
फट लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
फट लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 8 जुलाई 2012

सावन / बादल / बरसात

बादलों
में भी

हिस्सा
दिखाता है

अपना सावन
अपनी रिमझिम
अपनी बरसात

अपनी
तरह से
चाहता है

खाली पेट
हो तो

दिलाता है
सूखे खेत
की याद

रोटी
पेट में
जाते ही
जरूर
आती है याद

फिर से बरसात

कोई बस
देखना भर
चाहता है
कुछ बूँदे

छाता खोल
ले जाता है

किसी को
भीगना होता है

खुले
आसमान
के नीचे
चला आता है

वो
उसकी
बारिश में

अपनी
बारिश
कहाँ
मिलाता है

सब को
अपनी अपनी
बारिश करना
आता है

कोई
अपने चेहरे
में ही बारिश
दिखाता है

किसी
का बादल

उसके
नयनों में ही
छा जाता है

किसी को
आ जाता है

कलम से
बरसात को
लिख ले जाना

कोई
अपने अंदर
ही बरसात
कर ले जाता है

पानी
कहीं पर
भी नजर
नहीं आता है

और
किसी का पेट

इतना
भर जाता है

कितना
खा गया
पता ही नहीं
चल पाता है

बादल
ऎसे में
गोल घूमना
शुरु हो जाता है

बारिश
का नाम भी
तब अच्छा
नहीं लगता

लेकिन
रोकते रोकते
भी बादल
फट जाता है

पानी
ही पानी
चारों तरफ
हो जाता है

कितने मन
और
कितने सावन

किसके
हिस्से में
कितने बादल

तब
जाके थोड़ा
समझ में
आता है ।

चित्र साभार: 
https://www.gettyimages.in