कौआ अगर
नीला होता
तो क्या होता
कबूतर भी
पीला होता
तो क्या होता
काले हैं कौए
अभी भी
कुछ नया कहाँ
कर पा रहे हैं
कबूतर भी
तो चिट्ठियों
को नहीं ले
जा रहे हैं
एक निठल्ला
इनको कबसे
गिनता हुवा
आ रहा है
मन की कूँची
से अलग
अलग रंगों
में रंगे
जा रहा है
सुरीली आवाज
में उसकी जैसे
ही एक गीत
बनाता है
कौआ
काँव काँव
कर चिल्ला
जाता है
निठल्ला
कुढ़ता है
थोड़ी देर
मायूस हो
जाता है
जैसे किसी
को साँप
सूँघ जाता है
दुबारा कोशिश
करने का मन
बनाता है
कौए को छोड़
कबूतर पर
ध्यान अपना
लगाता है
धीरे धीरे तार
से तार जोड़ता
चला जाता है
लगता है जैसे
ही उसे कुछ
बन गयी
हो बात
एक सफेद
कबूतर
उसके सर
के ऊपर से
काँव काँव कर
आसमान में
उड़ जाता है।
नीला होता
तो क्या होता
कबूतर भी
पीला होता
तो क्या होता
काले हैं कौए
अभी भी
कुछ नया कहाँ
कर पा रहे हैं
कबूतर भी
तो चिट्ठियों
को नहीं ले
जा रहे हैं
एक निठल्ला
इनको कबसे
गिनता हुवा
आ रहा है
मन की कूँची
से अलग
अलग रंगों
में रंगे
जा रहा है
सुरीली आवाज
में उसकी जैसे
ही एक गीत
बनाता है
कौआ
काँव काँव
कर चिल्ला
जाता है
निठल्ला
कुढ़ता है
थोड़ी देर
मायूस हो
जाता है
जैसे किसी
को साँप
सूँघ जाता है
दुबारा कोशिश
करने का मन
बनाता है
कौए को छोड़
कबूतर पर
ध्यान अपना
लगाता है
धीरे धीरे तार
से तार जोड़ता
चला जाता है
लगता है जैसे
ही उसे कुछ
बन गयी
हो बात
एक सफेद
कबूतर
उसके सर
के ऊपर से
काँव काँव कर
आसमान में
उड़ जाता है।
सच में ..ये 'निठल्ले का ही सपना है ..'
जवाब देंहटाएंहास्य से परिपूर्ण रचना
mujhe hasya nahi jiwan kee visangati diikh rahi hai.. badhiya chintan
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति,सुंदर हास्यपूर्ण रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,