सब कुछ
साफ साफ
लिख देने
के लिये
किसी को
मजबूर नहीं
किया जा
सकता है
सब कुछ
वैसे भी
लिखा भी
नहीं जा
सकता है
इतना तो
एक अनपढ़
की समझ में
तक आ
सकता है
सब कुछ
लिख लेने
का बस
सोचा ही
जा सकता है
कुछ
कुछ पूरा
लिखने की
कोशिश
करने वाला
पूरा लिखने
से पहले ही
इस दुनियाँ
से बहुत दूर भी
जा सकता है
सब कुछ
लिख देने
की कोशिश
करने में
आपदा भी
आ सकती है
साल
दो साल नहीं
सदियाँ भी
पन्नों में
समा सकती हैं
नदियाँ
समुद्र तक
जा कर
लौट कर
भी आ
सकती हैं
सब कुछ
सब लोग
नहीं लिख
सकते हैं
उतना ही
कुछ लिख
सकते हैं
उतना ही
कुछ बता
सकते हैं
जितने को
लिखने या
बताने में
कुछ
ना कुछ
पी खा
सकते हैं
कुछ
आने वाली
पीढ़ियों
के लिये
बचा सकते हैं
सब कुछ
लिख
देने वाला
अच्छी तरह
से जानता है
बाहर के
ही नहीं
अंदर के
कपड़े भी
फाड़े या
उतारे जा
सकते हैं
हमाम में
कोई भी
कभी भी
आ जा
सकता है
नहाना चाहे
नहा सकता है
डुबकी लगाने
की भी मनाही
नहीं होती है
डुबकी
एक नहीं
बहुत सारी भी
लगा सकता है
साथ
किसी के
मिलकर
करना हो
कुछ भी
किसी भी
सीमा तक
कर करा
सकता है
किसी
अकेले का
सब कुछ
किये हुऐ
की बात
शुरु करने
से ही
शुरु होना
शुरु होती है
परेशानियाँ
सब कुछ
लिखने
लिखाने की
हिम्मत करने
वाले का कुछ
या
बहुत कुछ
नहीं
सब कुछ भी
भाड़ में
जा सकता है
‘उलूक’
कुछ कुछ
लिखता रह
पंख नुचवाता रह
सब कुछ
लिखने का
जोखिम
तू भी नहीं
उठा सकता है
अभी
तेरी उड़ान
रोकने की
कोशिश
से ही
काम चल
जाता है
जिनका
तेरे
सब कुछ
लिख देने से
उनका हाथ
तेरी गरदन
मरोड़ने के
लिये भी
आ सकता है ।
साफ साफ
लिख देने
के लिये
किसी को
मजबूर नहीं
किया जा
सकता है
सब कुछ
वैसे भी
लिखा भी
नहीं जा
सकता है
इतना तो
एक अनपढ़
की समझ में
तक आ
सकता है
सब कुछ
लिख लेने
का बस
सोचा ही
जा सकता है
कुछ
कुछ पूरा
लिखने की
कोशिश
करने वाला
पूरा लिखने
से पहले ही
इस दुनियाँ
से बहुत दूर भी
जा सकता है
सब कुछ
लिख देने
की कोशिश
करने में
आपदा भी
आ सकती है
साल
दो साल नहीं
सदियाँ भी
पन्नों में
समा सकती हैं
नदियाँ
समुद्र तक
जा कर
लौट कर
भी आ
सकती हैं
सब कुछ
सब लोग
नहीं लिख
सकते हैं
उतना ही
कुछ लिख
सकते हैं
उतना ही
कुछ बता
सकते हैं
जितने को
लिखने या
बताने में
कुछ
ना कुछ
पी खा
सकते हैं
कुछ
आने वाली
पीढ़ियों
के लिये
बचा सकते हैं
सब कुछ
लिख
देने वाला
अच्छी तरह
से जानता है
बाहर के
ही नहीं
अंदर के
कपड़े भी
फाड़े या
उतारे जा
सकते हैं
हमाम में
कोई भी
कभी भी
आ जा
सकता है
नहाना चाहे
नहा सकता है
डुबकी लगाने
की भी मनाही
नहीं होती है
डुबकी
एक नहीं
बहुत सारी भी
लगा सकता है
साथ
किसी के
मिलकर
करना हो
कुछ भी
किसी भी
सीमा तक
कर करा
सकता है
किसी
अकेले का
सब कुछ
किये हुऐ
की बात
शुरु करने
से ही
शुरु होना
शुरु होती है
परेशानियाँ
सब कुछ
लिखने
लिखाने की
हिम्मत करने
वाले का कुछ
या
बहुत कुछ
नहीं
सब कुछ भी
भाड़ में
जा सकता है
‘उलूक’
कुछ कुछ
लिखता रह
पंख नुचवाता रह
सब कुछ
लिखने का
जोखिम
तू भी नहीं
उठा सकता है
अभी
तेरी उड़ान
रोकने की
कोशिश
से ही
काम चल
जाता है
जिनका
तेरे
सब कुछ
लिख देने से
उनका हाथ
तेरी गरदन
मरोड़ने के
लिये भी
आ सकता है ।
बढिया सटीक लेखन , सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार आशीष ।
हटाएंबहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रतिभा जी ।
हटाएंसबकुछ लिखने की कोशिश में मैंने अपने मैं को जगाया है
जवाब देंहटाएं'मैं' मेरा अहम नहीं
स्वत्व है
जन्मगत संस्कारों की धुरी है
संस्कारों के गुम्बदों पर मर्यादा के धागे बाँध
अमर्यादित शब्दों को मर्यादा के घेरे में
लोगों के दिलों में उतारती हूँ
सहनशीलता के बाँध को तोड़
रोती और रुलाती हूँ
आँसू कमज़ोरी नहीं
कायरता नहीं
संवेदना के स्वर हैं
इसी स्वर से परिवर्तन हुआ है
होगा …
वाह !
हटाएंगहरी टिप्पणी के लिये साधुवाद ।
बहुत सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंआपकी लिखी रचना बुधवार 21 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आभार !
हटाएंबहुत ही सुन्दर और सटीक रचना, आपका आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंआभार राजेंद्र जी ।
हटाएंसब कुछ न लिखते हुए बी आपने बहुत कुछ लिख दिया ... सटीक ...
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दिगम्बर जी ।
हटाएंउनका हाथ तेरी
जवाब देंहटाएंगरदन मरोड़ने के
लिये भी आ सकता है..
क्या खूब कहा..
आभार अमृता जी ।
हटाएं