अंगुलियों
को
मोड़कर
मुट्ठी बना लेना
कुछ भी
पकड़ लेने
की
शुरुआत
पैदा होते हुऐ
बच्चे
के साथ
के साथ
आगे भी
चलती
चली जाती है
पकड़
शुरु में
कोमल होती है
होते होते
बहुत
कठोर
हो जाती है
हो जाती है
किसी भी
चीज को
पकड़ लेने की सोच
चाँद
भी पकड़ने
के लिये
लपक जाती है
पकड़ने की
यही
कोशिश
कुछ ना कुछ
रंग
कुछ ना कुछ
रंग
जरूर दिखाती है
आ ही
जाता है
कुछ ना कुछ
छोटी सी मुट्ठी में
मुट्ठी
बड़ी और बड़ी
होना
शुरु हो जाती है
शुरु हो जाती है
सब कुछ हो
रहा होता है
बस
आँख बंद
हो जाती है
फिर
आँख और मुट्ठी
खुलना शुरु
होती है
जब
जब
लगने लगता है
बहुत कुछ
जैसे
जैसे
हवा पानी
पहाड़ अपेक्षाऐं
मुट्ठी में आ चुकी हैं
और
पकड़
उसके बाद
यहीं से
ढीली
ढीली
पड़ना शुरु
हो जाती है
‘उलूक’
वक्र का ढलना
यहीं से
सीखा जाता है
वक्र का
शिखर
मुट्ठी से बाहर
आ ही जाता है
उस समय
जब
सभी कुछ
मुट्ठी
मुट्ठी
में
समाया हुआ
समाया हुआ
मुट्ठी में
नहीं
मिल पाता है
अपनी अपनी
जगह
जहाँ था
वहीं
जैसे
वहीं
जैसे
वापस
चला जाता है
चला जाता है
अँगुलियाँ
सीधी
हो
चुकी होती हैं
चुकी होती हैं
जहाज
के
उड़ने का
बढ़िया लेखन सर , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार आशीष ।
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-05-2014 को चर्चा मंच पर अच्छे दिन { चर्चा - 1620 } में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
यही है मुट्ठी की माया !
जवाब देंहटाएंबंधी मुठ्ठी लाख की।
जवाब देंहटाएंओह, ... पानी में मिल के पानी, अफसोस ये के फ़ानी ...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 24 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजैसे
जवाब देंहटाएंहवा पानी
पहाड़ अपेक्षाऐं
मुट्ठी में आ चुकी हैं
जहाज
के
उड़ने का
समय
हो जाता है ।
आज के हालात में तो चेत जाएं... छ साल पहले की भविष्यवाणी सच साबित हो रही..
सार्थक लेखन
वाह! सब कुछ मुठ्ठी में!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंगज़ब!!
जवाब देंहटाएंमुठ्ठी बंद होकर खुलने का सफर है जिंदगी ।
सच !! विमान उड़ान के समय अंगुलिया खुल जाना या कहो हाथ पसारे जाना ।
शानदार।
बहुत ही सुंदर रचना. जीवन का सुंदर संदेश और सबक़ बड़ी ख़ूबसूरती से उभारती है आपकी लाजवाब रचना.
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम आदरणीय सर.