उलूक टाइम्स: मूर्खता दिवस

रविवार, 1 अप्रैल 2012

मूर्खता दिवस

आप के लिये
हो ना हो

मेरे लिये
बहुत खास है

आज का दिन
लगता है कितना
अपना अपना सा

देख रहें हो जैसे
दिन में ही एक
सुन्दर सपना सा

देश ही नहीं
विदेश में भी
मनाया जाता है

कितनी खुशी
मिलती है
जब चर्चा
में आपको
लाया जाता है

वैसे मेरे लिये
हर दिन एक
अप्रैल होता है

मेरी सोच का
मुश्किल से ही
किसी से कोई
मेल होता है

ईनाम मिलने
की बारी अगर
कभी आयेगी

जनता जनार्दन
किसी और को
टोपी पहनायेगी

मेरे हाथ मे
कव्वे का एक
पंख देकर
मुझे ढ़ाढस
जरूरे बधायेगी

कोई बात नहीं
मुझे अपने पर
इतना भरोसा है

वो सुबह कभी
तो आयेगी
मेरी टोपी मेरे
सिर में ही कभी
पहनायी जायेगी।

2 टिप्‍पणियां:

  1. मूर्ख होना भी कम नहीं, वर्ना जिसे देखो बाल की खाल निकालता रहता है

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  2. वो सुबह कभी
    तो आयेगी
    मेरी टोपी मेरे
    सिर में ही
    पहनायी जायेगी।
    ....आमीन! वैसे व्यर्थ के तर्कों में फंसने से मूर्ख बने रहना ज्यादा अच्छा है....

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