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सोमवार, 10 अगस्त 2015

बिल्ली और घंटी वाली पुरानी कहानी में संशोधन करने के लिये संसद में प्रस्ताव पास करवायें

बिल्ली चूहे

और
बिल्ली के
गले में घंटी
बांधने की कहानी

बहुत
पुरानी
जरूर है

पर
कहानी ही है

ना कभी
किसी बिल्ली
के घंटी बंधी

ना चूहों
की हिम्मत
कभी इतनी बनी

आदमी के
दिमाग की
खुराफातों
की बातें

किसी के
समझ में आई
और उसने

बिल्ली चूहे
के ऊपर
घंटी एक
मार कर

एक
कहानी बनाई

कहानी तो
कहानी होती है

सच सच होता है

क्या किया जाये

अगर
एक चूहों के
जमघट के

कुछ
टेढ़े मेढ़े
कमजोर चूहे

कहीं से
कुछ लम्बी मूँछें

और
कहीं से
कुछ लम्बी पूँछें
मार कर लायें

अपने ही
घर से चोरी गई

कुछ
मलाई से

कुछ अपने

और
कुछ अपने
कुछ चमचों
पर चिपका कर
बिल्ली हो जायें

चारों और
बिल्लियों का
डर फैलायें

तितर
बितर
हुऐ चूहे

अपने
ही बीच के
कुछ चूहों
के डर से
हलकान हो कर

घंटी के
सपने देखना
शुरु हो जायें

इस सब
को समझें

बिल्ली
कभी नही थी

घंटी जरूर थी

चूहों
के बीच
किसी
एक दो
चूहों के
गले में घंटी
बधने बधाने की
नई कहानी बनायें

बिल्ली
और
घंटी वाली
पुरानी कहानी में

संशोधन
करने के लिये

संसद
में प्रस्ताव
पास करवायें ।

चित्र साभार: members.madasafish.com

सोमवार, 12 अगस्त 2013

भाई आज फिर तेरी याद आई

गधों में से चुना
जाना है एक गधा
चुनने के बाद
कहा जायेगा उसे
गधों में सबसे
गधा गधा
इस काम को
अंजाम देने के
लिये लाया जाना है
आसपास का नहीं
कहीं बहुत दूर
का एक गधा
गधों के माफिया
ने चुना है
सुना एक धोबी
का गधा
जब बहुत से
गधे खेतों में
घूमते चरते
दिख रहे हैं
रस्सी भी नहीं हैं
पड़ी गले में
फुरसत में
मटरगश्ती भी
मिल कर वो
कर रहे हैं
समझ में नहीं
ये आया गधे
धोबी के गधे से
अपना काम
निकलवाने के लिये
क्यों मर रहे हैं
मुझ गधे के दिमाग ने
मेरा साथ ही
नहीं निभाया
इस बात का राज
मुझे गूगल ने
भी नहीं बताया
थक हार कर
मैंने अपने एक
साथी को अपनी
उलझन को बताया
सुनते ही चुटकी
में यूँ ही उसने
इस बात को कुछ
ऎसे समझाया
बोला चूहों को
जब बांधनी होती है
किसी बिल्ली के
गले में घंटी
बहुत मुश्किल
से किसी एक
चतुर चूहे के
नाम पर है
राय बनती
काम होने में
भी रिस्क बहुत
है हो जाता
कभी कभी चतुर
चूहा इसमें शहीद
भी है हो जाता
अब अगर पहले
से ही घंटी बंधी
बिल्ली किसी के
पास हो जाये
तो बिना मरे भी
चूहों का काम
आसान हो जाये
इसी सोच से धोबी
के गधे पर दाँव
गधों ने लगाया होगा
गधे का नहीं सोचा होगा
धोबी पटा पटाया होगा
गधों को जब अपना
काम करवाना होगा
धोबी को बस एक
पैगाम पहुँचाना होगा
धोबी बस गले की
रस्सी को हिलायेगा
गधा गधों के सोचे हुऎ
गधे के नाम पर
ही मुहर लगायेगा
लिख दिया है
ताकि सनद रहे
क्या फर्क पड़ना है
क्योंकि एक गधे की
लिखी हुई बात को
बस गधा ही केवल
एक समझ पायेगा
उसे तो चरनी है
लेकिन बस घास
वो फाल्तू में यहाँ
काहे को आयेगा
गधों के लिये एक
गधे के द्वारा कही
गई बात गधों को
कोई भी जा
के नहीं सुनाऎगा ।