उलूक टाइम्स: शब्दकोष
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बुधवार, 2 दिसंबर 2015

क्या कुछ कौन से शब्द चाहिये कुछ या बहुत कुछ व्यक्त करने के लिये कोई है जो चल रहा हो साथ में लेकर शब्दकोष शब्दों को गिनने के लिये

कुछ लिखने
का
दिल किया
कई दिनों
के बाद
कुछ कुछ
होना शुरु
होते होते
कुछ नया
कुछ अलग
लिखने की
सोच कर

पुराने सारे
लिखे लिखाये
को
कुछ देखना
शुरु किया
मतलब
शुरू से
शुरु किया

कुछ गिनना
कुछ जोड़ना
कुछ घटाना
जब
सारे लिखे
लिखाये पर
आरंभ से
अंत तक
सही में

सही सही
कहा जाये तो
शुरु किये गये
कुछ से
आज और
अभी तक
लिखे गये
कुछ कुछ तक

कितना खोजा
बहुत टटोला
बस मिला
बार बार
कई बार
किया गया
शब्द
जो प्रयोग
उनमें
बहुत कुछ
के प्रयोग से
बहुत कुछ
लिखा लिखाया
नहीं मिला

बस मिला
लिखा हुआ
अधिकतर में
ज्यादातर
कहीं कुछ
अखबार
कुछ आदमी
कुछ कुत्ता
कुछ खबर
कहीं कुछ गधा
कुछ गाँधी
कुछ चोर
कुछ उलूक
कुछ देश
कुछ बंदर
कहीं कहीं
कुछ बात
कुछ हवा
कुछ सोच
और
कहीं
थोड़े से
थोड़े
कुछ लोग

समझते
समझते
बस इतना
ही समझ
में आया

शब्दकोश
कितना बड़ा
समेटे हुऐ
खुद अपने में
कितने कितने
समझे बूझे हुऐ
अनगिनत शब्द
पर
कहने के लिये
अपनी
इसकी उसकी
आसपास की
व्यथा कथा
चाहिये
बहुत थोड़े
कुछ कुछ
छोटे छोटे
बेकार के
रोज रोज के
साग सब्जी
रोटी दाल
कपड़े बरतन
जैसे
शब्दों के
बीच में
गिरते लुड़कते
शब्दों को
जोड़ते तोड़ते
मरोड़ते शब्द

कोशिश में
समझाने की
बताने की
कुछ व्यक्त
कुछ अव्यक्त
व्यर्थ में
असमर्थ
समर्थ शब्द ।

चित्र साभार: www.fotosearch.com

रविवार, 29 जून 2014

काम की बात काम करने वाला ही कह पाता है

पहली तारीख को
वेतन की तरह
दिमागी शब्दकोश
भी जैसे कहीं से
भर दिया जाता है
महीने के अंतिम
दिनो तक आते आते
शब्दों का राशन
होना शुरु हो जाता है
दिन भर पकता है
बहुत कुछ
ऊपर की मंजिल में
पर शाम होते ही
कुछ कुलबुलाना
शुरु हो जाता है
इसीलिये शायद
अपने आप को
अच्छी बातों में
व्यस्त रखने को
कहा जाता है
सूखे हुऐ पेड़ के
ठूँठ पर बैठे हुऐ
‘उलूक’ से कुछ भी
नहीं हो पाता है
पता नहीं किस तरह
की बेरोजगारी ने
जकड़ा हुआ है उसे
हर शख्स के चेहरे में
उसे एक आईना
लगा हुआ दूर से
ही नजर आता है
कुछ कहने ना कहने
की बात ही नहीं उठती
देखने के लिये उसे
अपना ही चेहरा
बस नजर आता है
हर शाख पै उल्लू बैठा है
किसलिये और क्यों
कहा जाता है
इस बात को इसी तरह
वो बहुत अच्छी तरह
से समझ पाता है
शाम होते होते
दिन भर के पकाये
हुऐ कुछ कुछ में से
कुछ यहाँ बियाबान में
परोसने के लिये
चला आता है
वैसे भी एक ही जैसी
चीजों को दिन भर
देख देख कर कोई भी
बोर हो जाता है
कहते हैं माहौल
बदलने से थोड़ा सा
मूड भी हल्का
हो ही जाता है ।

गुरुवार, 3 मई 2012

इनविजिलेटर

शब्दकोष
विजिलेंट
का अर्थ
जागरूक
बताता है
महिलाओं
को परीक्षा
काल में
अच्छा निरीक्षक
माना जाता है
नकल करता
हुआ विद्यार्थी
इनके द्वारा
तुरंत पकड़
लिया जाता है
एक नकलची
विवाह हेतु
वधू की तलाश
में जब गया
लड़की शिक्षिका
है उसे वहाँ
पहुंच कर
पता लगा
पूछ बैठा
बेचारा
कितने
नकलचियों
को उसने
नकल करते
हुए पकड़वाया
कितनों का
निष्कासन कर
विद्यालय से
बाहर निकलवाया
लड़की मुस्कुराई
और बोली
मेरी नजर से
कोई नहीं
बच पाता है
नकलची कितना
भी शातिर हो
मेरे सामने नकल
नहीं कर पाता है
लड़का तो
पहले से ही
दूध से जला
बैठा था
छाँछ भी
फूँक फूँक
कर पीता था
सुनते ही
ये बात
उल्टे पैर
लौट कर आया
घर पहुँच कर
अपनी माँ को
उसने बताया
माँ इस लड़की से
शादी नहीं
कर पाऊँगा
नकल पकड़ती है
मैं तो रोज
ही धर
लिया जाऊँगा
स्कूल में
रोज नकल
पकड़वाती
हो जो
उसको दुल्हन
बना के
कैसे मैं घर
ला पाऊँगा
बीबी ला रहा हूँ
वैसे ही
घबरा रहा हूँ
दो आँख
वाली होती
तो भी चला
ही लेता
किसी तरह
इस लड़की
के पास
तो मैं
बारह आँख
देख कर
आ रहा हूँ
शादी करने
की हिम्मत
नहीं कर
पा रहा हूँ ।