पकड़े गये
बेचारे
शिक्षा
अधिकारी
लेते हुऐ
रिश्वत
मात्र पन्द्रह
हजार की
खबर छपी है
एक जैसी है
फोटो के साथ है
मुख्य पृष्ठ पर है
इनके भी है
और
उनके भी है
अखबार की
चर्चा
चल रही है
जारी
रहेगी बैठक
समापन की
तारीख रखी
गयी है अगले
किसी रविवार की
खलबली मची है
गिरोहों गिरोहों
बात कहीं भी
नहीं हो रही है
किसी के भी
सरदार की
सुनने में
आ रहा है
आयी है कमी
शेयर के
दामों में
रिश्वत के
बाजार की
यही हश्र
होता है
बिना
पीएच डी
किये हुओं का
उसूलों को
अन्देखा
करते हैं
फिक्र भी
नहीं
होती है
जरा सा भी
इतने
फैले हुऐ
कारोबार की
अक्ल
के साथ
करते हैं
व्यापार
समझदार
उठाईगीर
उठाते हैं
बहुत थोड़ा
सा रोज
अँगुलियों
के बीच
मुट्ठी नहीं
बंधती है
सुराही के
अन्दर कभी
किसी भी
सदस्य की
चोरों के
मजबूत
परिवार की
सालों से
कर रहे हैं
कई हैं
हजारों
पन्द्रह
भर रहे हैं
गागर भरने
की खबर
पहुँचती नहीं
फुसफुसाती
हुई डर कर
मर जाती है
पीछे के
दरवाजे में
कहीं आफिस
में किसी
समाचार की
उबाऊ ‘उलूक’
फिर ले कर
बैठा है एक
पकाऊ खबर
मजबूर दिवस
की पूर्व संध्या
पर सोचता हुआ
मजबूरों के
आने वाले
निर्दलीय एक
त्यौहार की ।
चित्र साभार: Shutterstock
बेचारे
शिक्षा
अधिकारी
लेते हुऐ
रिश्वत
मात्र पन्द्रह
हजार की
खबर छपी है
एक जैसी है
फोटो के साथ है
मुख्य पृष्ठ पर है
इनके भी है
और
उनके भी है
अखबार की
चर्चा
चल रही है
जारी
रहेगी बैठक
समापन की
तारीख रखी
गयी है अगले
किसी रविवार की
खलबली मची है
गिरोहों गिरोहों
बात कहीं भी
नहीं हो रही है
किसी के भी
सरदार की
सुनने में
आ रहा है
आयी है कमी
शेयर के
दामों में
रिश्वत के
बाजार की
यही हश्र
होता है
बिना
पीएच डी
किये हुओं का
उसूलों को
अन्देखा
करते हैं
फिक्र भी
नहीं
होती है
जरा सा भी
इतने
फैले हुऐ
कारोबार की
अक्ल
के साथ
करते हैं
व्यापार
समझदार
उठाईगीर
उठाते हैं
बहुत थोड़ा
सा रोज
अँगुलियों
के बीच
मुट्ठी नहीं
बंधती है
सुराही के
अन्दर कभी
किसी भी
सदस्य की
चोरों के
मजबूत
परिवार की
सालों से
कर रहे हैं
कई हैं
हजारों
पन्द्रह
भर रहे हैं
गागर भरने
की खबर
पहुँचती नहीं
फुसफुसाती
हुई डर कर
मर जाती है
पीछे के
दरवाजे में
कहीं आफिस
में किसी
समाचार की
उबाऊ ‘उलूक’
फिर ले कर
बैठा है एक
पकाऊ खबर
मजबूर दिवस
की पूर्व संध्या
पर सोचता हुआ
मजबूरों के
आने वाले
निर्दलीय एक
त्यौहार की ।
चित्र साभार: Shutterstock