कभी कुछ
व्यक्त नहीं
करने वाली
भीड़ में से
कुछ लोग
अपने आप
कुछ हो
जाते हैं
बाकी कुछ को
समाचार पत्र के
माध्यम से बताते हैं
वो कुछ हो गये हैं
नहीं बोलने
वाले कुछ लोगों
को कोई फर्क
नहीं पड़ता है
अगर कोई
अपने आप कुछ
हो जाता है
और बताता है
जो कुछ
हो जाते हैं
वो भी कभी
कुछ नहीं
बोलते हैं
बस कुछ कुछ
करते चले जाते हैं
कुछ भी किसी को
कभी नहीं बताते हैं
ऎसे ही कुछ कुछ
होता चला जाता है
ऎसे ही यहाँ के कुछ
वहाँ के कुछ लोगों
से मिल जाते हैं
बीच बीच में
कुछ कुछ
करने कहीं कहीं
को चले जाते हैं
ये सब भारत देश
के छोटे लोकतंत्र
कहलाते हैं
कुछ भी हो कुछ
करना इतना भी
आसान नहीं होता है
कुछ कर लिया
जिसने यहां
उससे बड़ा
भगवान ही
नहीं होता है।
व्यक्त नहीं
करने वाली
भीड़ में से
कुछ लोग
अपने आप
कुछ हो
जाते हैं
बाकी कुछ को
समाचार पत्र के
माध्यम से बताते हैं
वो कुछ हो गये हैं
नहीं बोलने
वाले कुछ लोगों
को कोई फर्क
नहीं पड़ता है
अगर कोई
अपने आप कुछ
हो जाता है
और बताता है
जो कुछ
हो जाते हैं
वो भी कभी
कुछ नहीं
बोलते हैं
बस कुछ कुछ
करते चले जाते हैं
कुछ भी किसी को
कभी नहीं बताते हैं
ऎसे ही कुछ कुछ
होता चला जाता है
ऎसे ही यहाँ के कुछ
वहाँ के कुछ लोगों
से मिल जाते हैं
बीच बीच में
कुछ कुछ
करने कहीं कहीं
को चले जाते हैं
ये सब भारत देश
के छोटे लोकतंत्र
कहलाते हैं
कुछ भी हो कुछ
करना इतना भी
आसान नहीं होता है
कुछ कर लिया
जिसने यहां
उससे बड़ा
भगवान ही
नहीं होता है।
NICE
जवाब देंहटाएंकुछ कुछ की कोशिश करें, कुछ न कुछ हो जाय ।
जवाब देंहटाएंदुनिया कुछ समझे तभी, कुछ कर व्यक्ति दिखाय ।
गुरुवर के आदेश से , मंच रहा मैं साज ।
जवाब देंहटाएंनिपटाने दिल्ली गये, एक जरुरी काज ।
एक जरुरी काज, बधाई अग्रिम सादर ।
मिले सफलता आज, सुनाएँ जल्दी आकर ।
रविकर रहा पुकार, कृपा कर बंदापरवर ।
अर्जी तेरे द्वार, सफल हों मेरे गुरुवर ।।
शनिवार चर्चा मंच 842
आपकी उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत की गई है |
charcamanch.blogspot.com
कुछ तो करो
जवाब देंहटाएंपर कुछ के छ
यानी छल से बचो
यही प्रेमधुन जपो।
कुछ न कुछ हो ही जाता है ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं