उलूक टाइम्स: मत परेशां हुआ कर

शनिवार, 20 अप्रैल 2013

मत परेशां हुआ कर

मत परेशां हुआ कर
क्या कुछ हुआ है कहीं
कुछ भी तो नहीं
कहीं भी तो नहीं
देख क्या ये परेशां है
देख क्या वो परेशां है
जब नहीं कोई परेशां है
तो तू क्यों परेशां है
सबके चेहरे खिले जाते हैं
तेरे माथे पे क्यों
रेशे नजर आते हैं
तेरी इस आदत से
तो सब परेशां है
वाकई परेशां है
तुझे देख कर ही तो
सबके चेहरे इसी
लिये उतर जाते हैं
कुछ कहीं कहाँ होता है
जो होता है सब की
सहमति से होता है
सही होता होगा
इसी लिये होता है
एक तू परेशां है
क्यों परेशां है
अपनी आदत को बदल
जैसे सब चलते हैं
तू भी कभी तो चल
कविता देखना तेरी
तब जायेगी कुछ बदल
सब फूल देखते हैं
सुंदरता के गीत
गाते हैं सुनाते हैं
तेरी तरह हर बात पर
रोते हैं ना रुलाते हैं
उम्रदराज भी हों अगर
लड़कियों की
तरफ देख कर
कुछ तो मुस्कुराते हैं
मत परेशां हुआ कर
परेशां होने वाले
कभी भी लोगों
में नहीं गिने जाते हैं
जो परेशांनियों
को अन्देखा कर
काम कर ले जाते हैं
कामयाब कहलाते हैं
परेशानी को अन्देखा कर
जो हो रहा है
होने दिया कर
देख कर आता है
कविता मत लिखा कर
ना तू परेशां होगा
ना वो परेशां होगा
होने दिया कर
जो कर रहे हैं कुछ
करने दिया कर
मत परेशां हुआ कर ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. परेशां ना हुआ कर ,मंत्री संत्री जैसे मोटी चमड़ी का हुआ कर, खुश रहेगा
    latest post तुम अनन्त
    latest post कुत्ते की पूंछ

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  2. होने दिया कर
    जो कर रहे हैं कुछ
    करने दिया कर
    मत परेशां हुआ कर,,,,

    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,,
    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  3. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (21-04-2013) के अब और नहीं सहेंगे : चर्चा मंच 1221 (मयंक का कोना) पर भी होगी!
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. बड़ा मुश्किल है इस तरह परेशान न हो पाना (

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