अब जब
वो कहता है
देश प्रेम
फैल रहा है
कुर्बान
देश पर
होने के लिये
हर कोई
अपने अन्दर
ही अन्दर
भड़की हुई
आग में
बुरी तरह
जल रहा है
इधर मुझे
ही फुर्सत
नहीं है
अपने कुऎं में
बैठ कर
टर्राने से
मेरी तरह
और भी हैं
कुछ मेंढक
जो टर्राते टर्राते
हो चुके हैं
दीवाने से
अब कैसे
कह दूँ
मुझे देश से
प्रेम नहीं है
थोड़ी बहुत
लूट खसोट
बेईमानी
अपने इलाके
में कर ले
जाने से कोई
देश का दुश्मन
जो क्या
हो जाता है
जब भी कभी
देश की बात
पर जुलूस
निकाला जाता है
हर कोई उस
जुलूस में आगे
आगे दिखाई
तो देना हेी
चाहता है
इससे अधिक
देश उससे
और क्या
चाहता है
वैसे भी देश
के लिये
काम करना
अकेले कहाँ
हो पाता है
टीम वर्क
हो तो
सब कुछ ही
बहुत आसानी
से हो जाता है
बस केवल
सीमा पर
कोई गोली
नहीं खाना
चाहता है
इसलिये
वहाँ के लिये
टीम बनाने
की इच्छा
कोई नहीं
दिखाता है
कहता है
देश का
सवाल है
इसलिये
ऎसा काम
हमेशा सामने
वाले को ही
दिया जाता है
बाकी टीम में
कोई कहीं
रखा जाये
इस बात का
देश प्रेम से
कहाँ कोई
नाता है
इसीलिये
हर सरदार
अपनी टीम
अपने हिसाब
से बनाता है
काम किसी को
कुछ आता हो
उससे क्या कुछ
कहीं हो जाता है
ज्यादा काम
समझने वाला
वैसे भी
टीम के
सरदार के
लिये एक
सरदर्द
हो जाता है
देश का झंडा
बस होना
चाहिये कुछ
मजबूत से
हाथो में
उसके नीचे
कौन क्या
कर रहा है
उससे कहाँ
कौन सा
फर्क पड़
जाता है
इतना क्या
कम नहीं
होता है कि
जब सीमा पर
कोई देश प्रेमी
मारा जाता है
देश का
देश प्रेमी
उसके
देश प्रेम से
भावुक
हो जाता है
उसकी
फोटो में
फूल माला
चढ़ाता है
अब
छोटी मोटी
चोरियां अगर
हो भी जाती हैं
किसी से अपने
आस पास कहीं
इससे देश प्रेम
कहााँ कम
हो जाता है
होता होगा
हो ही
रहा होगा
मेरे देश में
देश प्रेम
जागरण
मुझे अपने
कुएं में टर्राने
में बहुत
मजा आता है ।
वो कहता है
देश प्रेम
फैल रहा है
कुर्बान
देश पर
होने के लिये
हर कोई
अपने अन्दर
ही अन्दर
भड़की हुई
आग में
बुरी तरह
जल रहा है
इधर मुझे
ही फुर्सत
नहीं है
अपने कुऎं में
बैठ कर
टर्राने से
मेरी तरह
और भी हैं
कुछ मेंढक
जो टर्राते टर्राते
हो चुके हैं
दीवाने से
अब कैसे
कह दूँ
मुझे देश से
प्रेम नहीं है
थोड़ी बहुत
लूट खसोट
बेईमानी
अपने इलाके
में कर ले
जाने से कोई
देश का दुश्मन
जो क्या
हो जाता है
जब भी कभी
देश की बात
पर जुलूस
निकाला जाता है
हर कोई उस
जुलूस में आगे
आगे दिखाई
तो देना हेी
चाहता है
इससे अधिक
देश उससे
और क्या
चाहता है
वैसे भी देश
के लिये
काम करना
अकेले कहाँ
हो पाता है
टीम वर्क
हो तो
सब कुछ ही
बहुत आसानी
से हो जाता है
बस केवल
सीमा पर
कोई गोली
नहीं खाना
चाहता है
इसलिये
वहाँ के लिये
टीम बनाने
की इच्छा
कोई नहीं
दिखाता है
कहता है
देश का
सवाल है
इसलिये
ऎसा काम
हमेशा सामने
वाले को ही
दिया जाता है
बाकी टीम में
कोई कहीं
रखा जाये
इस बात का
देश प्रेम से
कहाँ कोई
नाता है
इसीलिये
हर सरदार
अपनी टीम
अपने हिसाब
से बनाता है
काम किसी को
कुछ आता हो
उससे क्या कुछ
कहीं हो जाता है
ज्यादा काम
समझने वाला
वैसे भी
टीम के
सरदार के
लिये एक
सरदर्द
हो जाता है
देश का झंडा
बस होना
चाहिये कुछ
मजबूत से
हाथो में
उसके नीचे
कौन क्या
कर रहा है
उससे कहाँ
कौन सा
फर्क पड़
जाता है
इतना क्या
कम नहीं
होता है कि
जब सीमा पर
कोई देश प्रेमी
मारा जाता है
देश का
देश प्रेमी
उसके
देश प्रेम से
भावुक
हो जाता है
उसकी
फोटो में
फूल माला
चढ़ाता है
अब
छोटी मोटी
चोरियां अगर
हो भी जाती हैं
किसी से अपने
आस पास कहीं
इससे देश प्रेम
कहााँ कम
हो जाता है
होता होगा
हो ही
रहा होगा
मेरे देश में
देश प्रेम
जागरण
मुझे अपने
कुएं में टर्राने
में बहुत
मजा आता है ।
अफसोस, यही हो रहा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज शुक्रवार (09-08-2013) को मेरे लिए ईद का मतलब ग़ालिब का यह शेर होता है :चर्चा मंच 1332 ....में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'