काला चश्मा
पहन कर
अपने आस पास
की गंदगी को
रंगीन कपड़े
से ढक कर
उसके ऊपर से
खुश्बू छिड़क कर
उसके पास पूरी
जिंदगी बिता देना
बहुत से लोगों को
बहुत अच्छी तरह
से आता है
सबकी नहीं भी
होती होगी
पर बहुतों
की होती है
एक ऐसी ही आदत
उसमें शामिल
होते हैं हम भी
पूरी तरह
एक नहीं
कई बार
कथा भागवत
करने में माहिर
ऐसे लोगों को
गीता से लेकर
कुरान का भी ज्ञान
रुपिये पैसे के ऊपर
लगने वाले ब्याज
की तरह आता है
कीचड़ के ऊपर से
धोती को समेरते हुऐ
बातों बातों में एक
बहुत लम्बे रास्ते से
ध्यान हटाने की
कला में पारँगत
ऐसे ही लोग
स्वर्ग के बारे में
बताते चले जाते हैं
बहुत से लोगों की
इच्छा भी होती है
जिंदा ही स्वर्ग
भ्रमण करने की
उनके लिये ही
सारा इंतजाम
किया जाता है
देखते सुनते
सब लोग हैं
जानते बूझते
सब लोग है
यही सब लोग
बहुत दूर के
बजते हुऐ
ढोलों और
नगाड़ों की तरफ
कान लगाये हुऐ
खड़े होकर
काट लेते हैं समय
इनमें से कोई
भी कभी स्वर्ग
ना जिंदा जाता है
ना ही मरने के
बाद ही इनको
वहाँ आने
दिया जाता है
नगाड़ों
की आवाज
सुनाई भी
नहीं देती है
कुछ बज रहा है
कहीं दूर बहुत
बता दिया जाता है
क्या करे
कोई उनका
जिनको अपने
आसपास के
पेड़ पौंधों
को तक पागल
बनाना आता है
वो बताते
चले जाते हैं
स्वर्ग के इंद्र
के बारे में
कब वो स्वर्ग के
लायक नहीं
रह जाता है
ऐसे समय में
स्वर्ग को फिर से
स्वर्ग बनाने के लिये
नये इंद्र को लाने
ले जाने का ठेका
दूर कहीं बैठ कर
ही हो जाता है
कथाऐं
चलती रहती है
कथा वाचक
बताता चला जाता है
फिर से एक बार
स्वर्ग बनने बनाने की
कथा शुरु हो चुकी है
सीमेंट और रेत के
शेयरों का बहुत
तेजी से ऊपर चढ़ना
शुरु हो जाने का अब
और क्या मतलब
निकाला जाता है ।
पहन कर
अपने आस पास
की गंदगी को
रंगीन कपड़े
से ढक कर
उसके ऊपर से
खुश्बू छिड़क कर
उसके पास पूरी
जिंदगी बिता देना
बहुत से लोगों को
बहुत अच्छी तरह
से आता है
सबकी नहीं भी
होती होगी
पर बहुतों
की होती है
एक ऐसी ही आदत
उसमें शामिल
होते हैं हम भी
पूरी तरह
एक नहीं
कई बार
कथा भागवत
करने में माहिर
ऐसे लोगों को
गीता से लेकर
कुरान का भी ज्ञान
रुपिये पैसे के ऊपर
लगने वाले ब्याज
की तरह आता है
कीचड़ के ऊपर से
धोती को समेरते हुऐ
बातों बातों में एक
बहुत लम्बे रास्ते से
ध्यान हटाने की
कला में पारँगत
ऐसे ही लोग
स्वर्ग के बारे में
बताते चले जाते हैं
बहुत से लोगों की
इच्छा भी होती है
जिंदा ही स्वर्ग
भ्रमण करने की
उनके लिये ही
सारा इंतजाम
किया जाता है
देखते सुनते
सब लोग हैं
जानते बूझते
सब लोग है
यही सब लोग
बहुत दूर के
बजते हुऐ
ढोलों और
नगाड़ों की तरफ
कान लगाये हुऐ
खड़े होकर
काट लेते हैं समय
इनमें से कोई
भी कभी स्वर्ग
ना जिंदा जाता है
ना ही मरने के
बाद ही इनको
वहाँ आने
दिया जाता है
नगाड़ों
की आवाज
सुनाई भी
नहीं देती है
कुछ बज रहा है
कहीं दूर बहुत
बता दिया जाता है
क्या करे
कोई उनका
जिनको अपने
आसपास के
पेड़ पौंधों
को तक पागल
बनाना आता है
वो बताते
चले जाते हैं
स्वर्ग के इंद्र
के बारे में
कब वो स्वर्ग के
लायक नहीं
रह जाता है
ऐसे समय में
स्वर्ग को फिर से
स्वर्ग बनाने के लिये
नये इंद्र को लाने
ले जाने का ठेका
दूर कहीं बैठ कर
ही हो जाता है
कथाऐं
चलती रहती है
कथा वाचक
बताता चला जाता है
फिर से एक बार
स्वर्ग बनने बनाने की
कथा शुरु हो चुकी है
सीमेंट और रेत के
शेयरों का बहुत
तेजी से ऊपर चढ़ना
शुरु हो जाने का अब
और क्या मतलब
निकाला जाता है ।
शुभ संध्या
जवाब देंहटाएंअच्छी सोच
और
गहरी भी
पर है कहाँ
लोगों के पास
इसे समझ
पाने के लिये
जो जरूरी है
दिमाग.....
सादर
आभार यशोदा जी ।
हटाएंबिल्कुल सत्य.
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंबढ़िया प्रभावी लेखन , सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
धन्यवाद आशीष ।
हटाएंवा वाह , सही कहा आपने !!
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं !
आभारी हूँ :)
हटाएंहमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल को बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है !
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंखूब ...एकदम सटीक है
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएं