बहुत सारे प्रश्न
ऐसे ही रोज
बेकार के समय
में उठते हैं
साबुन के
बुलबुलों की तरह
और फूट जाते हैं
काले सफेद
रंग बिरंगे
सुंदर कुरूप
लुभावने डरावने
और पता नहीं
कैसे कैसे
हर बुलबुला
छोड़ जाता है
एक प्रश्न चिन्ह
और वही
प्रश्न चिन्ह कहीं
किसी और प्रश्न के
बुलबुले में जा कर
लटक जाता है
ऐसे प्रश्नों के
उत्तर भी
होते हैं या नहीं
पता नहीं चल पाता है
आज तक किसी को
लिखते हुऐ नहीं देखा
कहीं भी अपने
ऐसे ही प्रश्नो को
सब के पास
सबके अपने अपने
प्रश्न होते हैं
पूछ्ना तो बहुत
दूर की बात
कोई दिखाना तक
नहीं चाहता है
शायद छपे कभी
कोई ऐसे ही प्रश्नों
की कोई किताब कहीं
और पता चले
अलग अलग तरह के
लोगों के अपने अपने
अलग अलग प्रश्न
क्योंकि आपस में
मिलजुल कर किये
काम से बहुत कुछ
बहुत बार निकल
कर आता है
‘उलूक’ के लिये तो
प्रश्न हमेशा ही
ब्रह्म हो जाता है
बस दूसरों में से
प्रश्न खोदने वाले
लोगों के लिये
एक प्रश्न जैसे
किसी का आखेट
करना हो जाता है
प्रश्न ही बुझाता है
उनकी रक्त पिपासा
प्रश्न पूछते ही
ऐसे लोगों के चेहरे पर
रक्त दौड़ जाता है
ऐसा रक्तिम चेहरा
और संतोष भाव ही
उनको ईश्वर
तुल्य बनाता है
वो बात अलग है
उनके ईश्वर बनते ही
सामने वाला डरना
शुरु हो जाता है
पर किसी का
विद्वान होना भी
यहीं पर उसके
प्रश्नो के कुदाल
से ही नजर आता है
क्योंकि उनके पास
तो बस उत्तर
ही होते हैं
किसी को इस
बात से क्या करना
अगर वो खुद को
प्रश्न वाचक चिन्ह
के साथ लटका
हुआ हमेशा पाता है ।
ऐसे ही रोज
बेकार के समय
में उठते हैं
साबुन के
बुलबुलों की तरह
और फूट जाते हैं
काले सफेद
रंग बिरंगे
सुंदर कुरूप
लुभावने डरावने
और पता नहीं
कैसे कैसे
हर बुलबुला
छोड़ जाता है
एक प्रश्न चिन्ह
और वही
प्रश्न चिन्ह कहीं
किसी और प्रश्न के
बुलबुले में जा कर
लटक जाता है
ऐसे प्रश्नों के
उत्तर भी
होते हैं या नहीं
पता नहीं चल पाता है
आज तक किसी को
लिखते हुऐ नहीं देखा
कहीं भी अपने
ऐसे ही प्रश्नो को
सब के पास
सबके अपने अपने
प्रश्न होते हैं
पूछ्ना तो बहुत
दूर की बात
कोई दिखाना तक
नहीं चाहता है
शायद छपे कभी
कोई ऐसे ही प्रश्नों
की कोई किताब कहीं
और पता चले
अलग अलग तरह के
लोगों के अपने अपने
अलग अलग प्रश्न
क्योंकि आपस में
मिलजुल कर किये
काम से बहुत कुछ
बहुत बार निकल
कर आता है
‘उलूक’ के लिये तो
प्रश्न हमेशा ही
ब्रह्म हो जाता है
बस दूसरों में से
प्रश्न खोदने वाले
लोगों के लिये
एक प्रश्न जैसे
किसी का आखेट
करना हो जाता है
प्रश्न ही बुझाता है
उनकी रक्त पिपासा
प्रश्न पूछते ही
ऐसे लोगों के चेहरे पर
रक्त दौड़ जाता है
ऐसा रक्तिम चेहरा
और संतोष भाव ही
उनको ईश्वर
तुल्य बनाता है
वो बात अलग है
उनके ईश्वर बनते ही
सामने वाला डरना
शुरु हो जाता है
पर किसी का
विद्वान होना भी
यहीं पर उसके
प्रश्नो के कुदाल
से ही नजर आता है
क्योंकि उनके पास
तो बस उत्तर
ही होते हैं
किसी को इस
बात से क्या करना
अगर वो खुद को
प्रश्न वाचक चिन्ह
के साथ लटका
हुआ हमेशा पाता है ।
बढिया लेखन , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लाँग ( हिन्दी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार आशीष !
हटाएंWonderful!
जवाब देंहटाएंआभार विनय ।
हटाएंUniversity of Perpetual Help System Dalta Top Medical College in Philippines
जवाब देंहटाएंUniversity of Perpetual Help System Dalta (UPHSD), is a co-education Institution of higher learning located in Las Pinas City, Metro Manila, Philippines. founded in 1975 by Dr. (Brigadier) Antonio Tamayo, Dr. Daisy Tamayo, and Ernesto Crisostomo as Perpetual Help College of Rizal (PHCR). Las Pinas near Metro Manila is the main campus. It has nine campuses offering over 70 courses in 20 colleges.
UV Gullas College of Medicine is one of Top Medical College in Philippines in Cebu city. International students have the opportunity to study medicine in the Philippines at an affordable cost and at world-class universities. The college has successful alumni who have achieved well in the fields of law, business, politics, academe, medicine, sports, and other endeavors. At the University of the Visayas, we prepare students for global competition.