छोटे छोटे
फूल
रंग बिरंगे
और
कोमल
भी
बिखेरते हुऐ
खुश्बू
रंग
और
खुशियाँ
चारों तरफ
दिखता है
हर
किसी को
अपने
आस पास
आस पास
एक
इंद्रधनुष
पहुँचते
ही
ही
इस
दुनियाँ में
किसे
अच्छा
अच्छा
नहीं लगता
कोमल
अहसास
अपने पास
जिंदगी
की
दौड़
दौड़
शुरु होते
बिना पैरों के
‘ठुमुक
चलत
चलत
राम चंद्र
बाजत
बाजत
पैजनियाँ’
फिर
यही
अहसास
अहसास
बन जाते हैं
सतरंगी धागे
कलाई
के
के
चारों ओर
फिर
एक और
इंद्रधनुषी
छटा
बिखेरते हुऐ
सृष्टि
अधूरी होगी
समझ में
भी आता है
अनजाने
से
से
किसी पल में
बचपन
से
लेकर
लेकर
घर छोड़ते
नमी के साथ
और
लौटते
खुशी
के
के
पलों में
हमेशा
बहुत
जल्दी
बढ़ी होती
उँचाई के
साथ
झिझक
झिझक
जरूरी नहीं रही
बदलते
समय के साथ
मजबूत
किया है
इरादों को
सिक्के
के
के
दोनो पहलू
भी
जरूरी हैं
जरूरी हैं
और
उन दोनो
का
बराबर
बराबर
चमकीला
और
मजबूत होना
भी
भी
आज
का दिन
रोज के
दिन में
बदले
सभी दिन
साल के
तुम्हारे
तुम्हारे
यही
दुआ है
दुआ है
अपने लिये
क्योंकि
खुद की
ही
ही
आने वाली
पीढ़ियों
की
की
सीढ़ियों का
बहुत
मजबूत होना
बहुत
जरूरी है ।
चित्र साभार: http://retroclipart.co
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं"उलूक " के आठ सौंवा पोस्ट के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंसाजन नखलिस्तान
बधाई ! ... यह प्रवाह यूँ ही रहे हर सन्दर्भ में
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्ज्तुतीकरण ! सुकोमल भाव !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 12/10/2014 को "अनुवादित मन” चर्चा मंच:1764 पर.
800वीं पोस्ट की बदायी हो।
जवाब देंहटाएं--
बहुत सुन्दर रचना।
सॉरी सर।
जवाब देंहटाएंवर्तनी गलत हो गयी थी।
--
800वें पन्ने की बधायी और शुभकामनाएँ।
सदा की तरह व्यंजना पूर्ण !
जवाब देंहटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंAapko 800 rachna post ki badhaayi ...yun hi aur rachnaayein judati rahe Ye karwaah aage aise hi badhta rahe .. Shubhkamnaayein :)
जवाब देंहटाएंवाह भाई जी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ---- ८०० पोस्ट एक मायने रखती है आपकी रचनात्मकता वाकई दिल को छू गयी ---
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ---
आप हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं
सादर ---
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
६ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
-बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह!!खूबसूरत सृजन !
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं"...
सभी दिन
साल के
तुम्हारे
..."
वाह लाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ८००की इस कड़ी के लिए ।
आगे का सफर अनवरत चलता रहे यही दुआ है।
यही
जवाब देंहटाएंदुआ है
अपने लिये
क्योंकि
खुद की
ही
आने वाली
पीढ़ियों
की
सीढ़ियों का
बहुत
मजबूत होना
बहुत
जरूरी
वाह!!!
बहुत खूब