इस पर कुछ
लिख कर जब
उसको पढ़ाया
बत्तीस लाईन
पढ़ने में उसने
बस एक डेढ़
मिनट लगाया
थोड़ा
सिर हिलाया
थोड़ा इधर
थोड़ा उधर घुमाया
कुछ देर लगा
जैसे कुछ सोचा
फिर आँखों
को मींचा
दायें हाथ
की अंगुलियों से
अपने बायें कान
को भी खीँचा
ऐनक उतार कर
रुमाल से पोंछा
कंधे पर हाथ
रख कर कुछ
अपनी ओर खींचा
बहुत अपनेपन से
मुँह के पास
मुँह ले आया
फुसफुसा कर
हौले से बस
इतना ही पूछा
बरखुर्दार !
ये सब करना
तुमको किसने
सिखाया
कब से शुरु किया
और ये सब
करने का विचार
तुम्हें कैसे आया
अच्छा किया मैंने
जो मैं इधर को
जल्दी चला आया
बहुत से लोगों ने
बहुत सी चीजों में
बहुत कुछ कमाया
लिखना ही था
तूने ‘उलूक’
तो फिर मुझे
पहले क्यों नहीं
कुछ बताया
इस पर तो सबने
सब कुछ कब से
लिख लिखा दिया
उस पर कुछ
लिखने का तू
कभी क्यों नहीं
सोच पाया ।
चित्र साभार: http://www.clipartguide.com
लिख कर जब
उसको पढ़ाया
बत्तीस लाईन
पढ़ने में उसने
बस एक डेढ़
मिनट लगाया
थोड़ा
सिर हिलाया
थोड़ा इधर
थोड़ा उधर घुमाया
कुछ देर लगा
जैसे कुछ सोचा
फिर आँखों
को मींचा
दायें हाथ
की अंगुलियों से
अपने बायें कान
को भी खीँचा
ऐनक उतार कर
रुमाल से पोंछा
कंधे पर हाथ
रख कर कुछ
अपनी ओर खींचा
बहुत अपनेपन से
मुँह के पास
मुँह ले आया
फुसफुसा कर
हौले से बस
इतना ही पूछा
बरखुर्दार !
ये सब करना
तुमको किसने
सिखाया
कब से शुरु किया
और ये सब
करने का विचार
तुम्हें कैसे आया
अच्छा किया मैंने
जो मैं इधर को
जल्दी चला आया
बहुत से लोगों ने
बहुत सी चीजों में
बहुत कुछ कमाया
लिखना ही था
तूने ‘उलूक’
तो फिर मुझे
पहले क्यों नहीं
कुछ बताया
इस पर तो सबने
सब कुछ कब से
लिख लिखा दिया
उस पर कुछ
लिखने का तू
कभी क्यों नहीं
सोच पाया ।
चित्र साभार: http://www.clipartguide.com
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंवाह भाई जी गजब का लिखते हैं ---- बहुत खूब ----
जवाब देंहटाएंसादर--
शरद का चाँद ---
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
कल 10/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
रोचक और गम्भीर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंलेखन के प्रारम्भ में ऐसा ही होता है...स्टिक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंRohitas Ghorela: सब थे उसकी मौत पर (ग़जल 2)
Saarthak ....umdaaa prastuti !!!!
जवाब देंहटाएं