उलूक टाइम्स: मन की बात
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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

ऐरे गैरे के लिखे ऐसे वैसे को काहे कहीं भी यूँ ही उठा कर के ले जाना है अलग बात है अगर किसी को कूड़ा घर घर पर ही बनाना है

जरूरी है घिसना
चौक
काले श्यामपट पर

पढ़ाना नहीं है
ना ही कुछ लिखना है

कुछ लकीरें खींच कर
गिनना
शुरु कर देना है

कोई पूछे अगर
क्या गिन रहे हैं
शर्माना नहीं है

कह देना है  मुँह पर ही
लाशें
किसकी कोई पूछे
तो बता देना है
अपने घर के किसी की नहीं है

मातम 
कहीं दिख रहा हो तो
पूछने जरूर जाना है

कौन मरा है
जात सुनना है
 और अट्टहास करना है
खिलखिलाना है

बातें करना है  मन की मन से
जरूरी है
इधर उधर ना जाना है
 मन की बातों से
छ्नी बातों को
रास्तों में बिछाना हैं

अपने बनाये भगवान के
गुण गाना है 
घर का
कोई नहीं मरा है
सोच कर
 तालियाँ बजाना है

‘उलूक’ उल्लू के पट्ठे
के लिखे लिखाये
के चक्कर में नहीं  पड़ना है
अपना घर अपनों से
बस आज बचाना है ।

चित्र साभार: https://www.canstockphoto.com/corpse-5001351.html