उलूक टाइम्स: दो और दो पाँच

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

दो और दो पाँच


दो और दो होता है चार 

किताबों से पढ़ा जाता है 
ब्लैक बोर्ड में लिखा जाता है 

कोई पूछता है तो 
समझाया भी उसे जाता है 
दो और दो हमेशा ही 
चार हो जाता है 

असलियत में 
दो और दो होता है पाँच 

खुद समझा ऎसे ही जाता है
किया भी ऎसा ही जाता है 

मौका ज्यादा अच्छा मिल रहा हो अगर 
तो आठ भी कर लिया जाता है

किताब में कुछ भी लिख देने से 
थोड़ा कुछ हो जाता है 

जमाने की नब्ज भी तो 
कोई चीज हुआ करती है 
उसे भी कुछ समझा जाता है 

उसके साथ चला जाये अगर 
तो रास्ता आसान हो जाता है 

तू भी दो और दो को चार पढ़ 
पर जब करता है तो पाँच कर 

सामने वाला भी वही कर रहा होता है 
उसको प्यार से नमस्कार कर 

चार को दिखा दिया कर 
एक को बचा लिया कर 

सामने वाला समझदार होता है 

उसको दो और दो चार 
समझ में आ जायेगा 
और पाँचवा तेरे लिये बच जायेगा 

'उलूक' किसी को कुछ 
पता भी नहीं चल पायेगा ।

चित्र साभार: https://www.123rf.com/

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह: सच कहा..आज दो और दो पाँच ही कहा जाता है

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  2. भई बहुत खूब सूरत उलूक टाइम्स विज्ञान भी यही कहता है टू एंड टू आलवेज़ डज़ नाट मेक फॉर ,दे केन बी जीरो .....टू ईकुवल वेक्टर इन अपोज़िट्स मेक जीरो . सामने वाले को देख बात कर ,उडती चिड़िया पहचान ,धोभी का गधा बन ,ज़हानत को उठाकर उधर रख ,बन दिग - विजय बन कह दो और दो पांच ,कह दो और दो ,रुको मत और दो ,देते ही जाओ ,यहाँ भी पधारें -

    बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
    लम्पटता के मानी क्या हैं ?
    लम्पटता के मानी क्या हैं ?

    लम्पटता के मानी क्या हैं ?

    कई मर्तबा व्यक्ति जो कहना चाहता है वह नहीं कह पाता उसे उपयुक्त शब्द नहीं मिलतें हैं .अब कोई भले किसी अखबार का सम्पादक हो उसके लिए यह ज़रूरी नहीं है वह भाषा का सही ज्ञाता भी हो हर शब्द की ध्वनी और संस्कार से वाकिफ हो ही .लखनऊ सम्मलेन में एक अखबार से लम्पट शब्द प्रयोग में यही गडबडी हुई है .

    हो सकता है अखबार कहना यह चाहता हों ,ब्लोगर छपास लोलुप ,छपास के लिए उतावले रहतें हैं बिना विषय की गहराई में जाए छाप देतें हैं पोस्ट .

    बेशक लम्पट शब्द इच्छा और लालसा के रूप में कभी प्रयोग होता था अब इसका अर्थ रूढ़ हो चुका है :

    "कामुकता में जो बारहा डुबकी लगाता है वह लम्पट कहलाता है "

    अखबार के उस लिखाड़ी को क्षमा इसलिए किया जा सकता है ,उसे उपयुक्त शब्द नहीं मिला ,पटरी से उतरा हुआ शब्द मिला .जब सम्पादक बंधू को इस शब्द का मतलब समझ आया होगा वह भी खुश नहीं हुए होंगें .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    ram ram bhai

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (01-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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