उलूक टाइम्स: नमस्कार
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शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

अभी अभी पैदा हुआ है बहुत जरुरी है बच्चा दिखाना जरूरी है

जब भी तू
समझाने की
कोशिश करता है
दो और दो चार

कोई भाव
नहीं देता है
सब ही कह देते हैं
दूर से ही नमस्कार

जमाने की नब्ज में
बैठ कर जिस दिन
शुरु करता है तू
शब्दों के
साथ व्यभिचार

जयजयकार गूँजती
है चारों ओर
और समझ में
आना शुरु होता है
उसी क्षण से व्यवहार।

सोमवार, 26 अगस्त 2013

राज्य शैक्षणिक पुरुस्कार बस दौ सौ अंको की है अब दरकार

मास्साब मिले  
पर बहुत ही
दिनों के बाद
हुई नमस्कार
पूछने लगा
उनके हाल चाल
मोटे ताजे बहुत
नजर आ रहे हो
मतलब बीमारी
से निपट के तो
नहीं आ रहे हो
जरूर कहीं
एल टी सी
पर घूम घाम
कर आ रहे हो
अरे नहीं बस
कुछ तैय्यारी
में लगा हुआ हूँ
इसलिये कहीं भी
नहीं जा रहा हूँ
अडो़स पडो़स की
शादी में भी बीबी
को भिजवा रहा हूँ
मर वर गया हो
कहीं कोई तो
बहाने कुछ नये
बना ले जा रहा हूँ
आन्दोलन सान्दोलन
से वैसे भी कोई नाता
क्या रखना हो रहा है
हड़तालियों के जुलूस
को देख कर पिछली
गली से दूसरी गली
को निकल जा रहा हूँ
अरे भाई तुम तो ऎसे
बता रहे हो जैसे कोई
पहाड़ सामने से आ कर
तुम्हारे खड़ा हो गया हो
और तुमसे उसे ना
उठाया जा रहा हो
जी नहीं ऎसा कुछ नहीं है
अब स्कूल के पाँच साल
की पढाई के मिलने
वाले हैं पच्चीस अंक
इसलिये घर पर
ट्यूशन की कक्षाऎं
चला रहा हूँ
पाँच अंक शीर्ष
अधिकारी देगा
उसके घर रोज
एक चक्कर
लगा रहा हूँ
पाँच अंक चयन समिती
के हाथ में होंगे
कौन होंगे इसमें शामिल
इसको पता लगाने का
जुगाड़ लगा रहा हूँ
रिजल्ट का रिकार्ड
भी रखना है सही
कैसे होगा ये सब
उसके लिये भी
दिमाग लगा रहा हूँ
गोपनीय होता है
यह सारा काम
अभी इस पत्ते को
आपके सामने नहीं
खोल पा रहा हूँ
छात्रों की खेल
प्रतियोगिता के भी
मिलने वाले हैं अंक
इसलिये छात्रों से
दूध घीं घर पर
ही मंगवा रहा हूँ
इसीलिये कुछ पहले
से स्वस्थ नजर मैं
तुमको आ रहा हूँ
अब तुमसे क्या छुपाना
राज्य शैक्षणिक पुरुस्कार
के लिये दौ सौ अंको
का करना पडे़गा
अब तो सभी को जुगाड़
इसलिये बिना अंको के
कैसे पहुँचा जाता है
सबसे ऊँची पायदान
ये राज नेताओं से
पूछने के लिये बीच
बीच में छुट्टी पर
राजधानी की तरफ
चला जा रहा हूँ
और क्या हाल चाल
हो रहे हैं देश के
ये तक भी आजकल
किसी से नहीं
पूछ पा रहा हूँ ।

बुधवार, 24 जुलाई 2013

आज गिरोह बनायेगा कल पक्का छा जायेगा



सावन के
अंधे की
तरह हो
जायेगा

समय के
साथ अगर
बदल
नहीं पायेगा

कोई
कुछ नहीं
देखेगा जहां

वहाँ तुझको
सब हरा हरा ही
नजर आयेगा

पिताजी ने
बताया होगा
कोई रास्ता
उस जमाने में कभी

भटकने से
तुझे वो भी
नहीं बचा पायेगा

अपने लिये
आखिर
कब तक
खुद ही
सोचता
रह जायेगा

गिरोह में
शामिल अगर
नहीं हो पायेगा

बेवकूफी
के साथ
दो करोड़
घर में
रख जायेगा

आबकारी
आयुक्त
की तरह
लोकपाल
के पंजे मे
जा कर
फंस जायेगा

समझदारी
के साथ
एक झंडा
उठायेगा

उंगली भी
कोई नहीं
कभी
उठा पायेगा

अपना
और अपने
लोगों का तो
करेगा ही
बहुत कुछ भला

गिरोह के
लिये भी
कुछ कर पायेगा

करोड़ों
की योजना
परियोजना
बनायेगा

सबका हिस्सा
टाईम पर
दे के आयेगा

झुक कर
करता चलेगा
रोज बस नमस्कार

बस एक बार
काम का बस भोंपू
बना कर बजायेगा

आज
गिरोह के लिये
झंडा एक उठायेगा

कल
खुद गिरोह के
झंडे में
नजर आयेगा

एक बेवकूफ
दो करोड़ के साथ
घर में
पकड़ा जायेगा
जेल पहुँच जायेगा

तू दस करोड़
भी ले जायेगा
लाल बत्ती की
कार के साथ
कहीं बैठा भी
दिया जायेगा

निर्वात
पैदा होने
की चिंता
कोई भी
नहीं कर पायेगा

निकलते ही
तेरे ऊपर

नीचे से एक
नया गिरोहबाज
तैयार खड़ा
तुझे मिल जायेगा ।

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

दो और दो पाँच


दो और दो होता है चार 

किताबों से पढ़ा जाता है 
ब्लैक बोर्ड में लिखा जाता है 

कोई पूछता है तो 
समझाया भी उसे जाता है 
दो और दो हमेशा ही 
चार हो जाता है 

असलियत में 
दो और दो होता है पाँच 

खुद समझा ऎसे ही जाता है
किया भी ऎसा ही जाता है 

मौका ज्यादा अच्छा मिल रहा हो अगर 
तो आठ भी कर लिया जाता है

किताब में कुछ भी लिख देने से 
थोड़ा कुछ हो जाता है 

जमाने की नब्ज भी तो 
कोई चीज हुआ करती है 
उसे भी कुछ समझा जाता है 

उसके साथ चला जाये अगर 
तो रास्ता आसान हो जाता है 

तू भी दो और दो को चार पढ़ 
पर जब करता है तो पाँच कर 

सामने वाला भी वही कर रहा होता है 
उसको प्यार से नमस्कार कर 

चार को दिखा दिया कर 
एक को बचा लिया कर 

सामने वाला समझदार होता है 

उसको दो और दो चार 
समझ में आ जायेगा 
और पाँचवा तेरे लिये बच जायेगा 

'उलूक' किसी को कुछ 
पता भी नहीं चल पायेगा ।

चित्र साभार: https://www.123rf.com/