उलूक टाइम्स: काफिला
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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

क्या करे कोई अगर अच्छा देखने का भी बुरा नजरिया होता है

सबका शहर
सबके लिये
बहुत ही 
खास होता है

बहुत सी
खासियत
होती हैं
हर शहर की
जाना जाता है
पहचाना जाता है
देश ही नहीं
विदेश में भी
हर किसी के लिये
अपना शहर
उसकी नजर में
कुछ ना कुछ
विशेष होता है
सब के लिये
एक ही नहीं
कुछ अलग
भी होता है 
किसी का
बचपन होता है
किसी की
जवानी होती है
किसी का
बुढ़ापा होता है
कोई शहर
छोड़ भी
चुका होता है
पर उसकी
यादों में कुछ
जरूर होता है
मेरी यादों में
पागलों का एक
काफिला होता है
बचपन से आज
तक मैने शहर
की गलियों में
देखा होता है
बहुत ज्यादा मगर
अफसोस होता है
जब याद आता है
बचपन के जाने से
बुढ़ापे के आने  तक
बहुत कुछ बोलते
बहुत कुछ लिखते
बहुत सी जगहों पर
इसी शहर की
गलियों में बहुत से
पागलों को देखा है
बहुत कुछ
खो दिया होता है
जब खुद के
लिखे में उनका
लिखा हुआ
जैसा बहुत
कुछ होता है
मेरे शहर का
मिजाज तब
और होता था
आज कुछ
और होता है
पागल पहले
भी हुऐ है
लिखने और
बोलने वाले

आज भी होते हैं
बाकी हर शहर में
कुछ तो
अलग और

विषेश होता है
जो यहाँ होता है
उससे अलग
कहीं और भी
क्या पता
कुछ और
भी होता है

और बहुत ही
खास होता है ।

गुरुवार, 7 जून 2012

आपदा फिर से आना

भीषण हुवी थी
उस बार बरसात
आपदा थी
दूर कहीं एक गाँव था
एक स्कूल था
दर्जन भर बच्चे थे
मौत थी वीरानी थी
कुल जमा दो
साल पहले की
ये बात थी
सभी को हैरानी थी
निकल गयी उसके
बाद कई बरसात
मंत्री जी से ठेकेदार
पैसे की थी इफरात
स्कूल फिर से गया
उसी जगह पर बनाया
मंत्री जी
हो गये भूतपूर्व
सरकार को
इस बीच गंवाया
अखबार हो गये
सब जब दूर
खबर बनाने को
स्कूल के
उदघाटन का
मन बनाया
कार्यक्रम होने
ही वाला था
पूर्व संध्या को
स्कूल भरभराया
सीमेंट रेता
मिट्टी हो कर
जमीन में सोने
चला आया
हाय रे हाय
वर्तमान सरकार
ठीकरा तेरे सर
फूटने को आया
मंत्री जी ने अपनी
झेंप को मिटाया
सी बी आई से
होगी इन्क्वारी
का भरोसा गांव
वालों को दिलवाया
लाव लश्कर के साथ
अपना काफिला
वापस लौटाया
ऎसा वाकया
पहली बार
देखने में
है आया।