उलूक टाइम्स: मंत्री
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गुरुवार, 7 जून 2012

आपदा फिर से आना

भीषण हुवी थी
उस बार बरसात
आपदा थी
दूर कहीं एक गाँव था
एक स्कूल था
दर्जन भर बच्चे थे
मौत थी वीरानी थी
कुल जमा दो
साल पहले की
ये बात थी
सभी को हैरानी थी
निकल गयी उसके
बाद कई बरसात
मंत्री जी से ठेकेदार
पैसे की थी इफरात
स्कूल फिर से गया
उसी जगह पर बनाया
मंत्री जी
हो गये भूतपूर्व
सरकार को
इस बीच गंवाया
अखबार हो गये
सब जब दूर
खबर बनाने को
स्कूल के
उदघाटन का
मन बनाया
कार्यक्रम होने
ही वाला था
पूर्व संध्या को
स्कूल भरभराया
सीमेंट रेता
मिट्टी हो कर
जमीन में सोने
चला आया
हाय रे हाय
वर्तमान सरकार
ठीकरा तेरे सर
फूटने को आया
मंत्री जी ने अपनी
झेंप को मिटाया
सी बी आई से
होगी इन्क्वारी
का भरोसा गांव
वालों को दिलवाया
लाव लश्कर के साथ
अपना काफिला
वापस लौटाया
ऎसा वाकया
पहली बार
देखने में
है आया।

शुक्रवार, 18 मई 2012

तबादला मंत्री

नयी
सरकार
लग रहा है

कुछ
कर दिखायेगी

सुना
जा रहा है
पहाड़ी राज्य में
तबादला उद्योग
जल्दी ही लगायेगी

पिछली
सरकार के
तबादला ऎक्ट को

रद्द करने
वो जा रही है

उसके लिये

विधान सभा
की मुहर
जरूरी है
बता रही है

वैसे
तबादले
करने से
क्या हो पाता है

मेरी
समझ मेंं
आज भी
ये नहीं आता है

मेरा
विश्वविद्यालय
संस्था एक
स्वायत्तशाशी है

तबादला
करने करवाने
की यहाँ नहीं
बदमाशी है

जो
काम करता है
वो करता ही
चला जाता है

जो
नहीं करता है
उससे काम
करवाने की
हिम्मत कोई
नहीं कर पाता है

क्यों
नहीं करता 
है पूछने पर

"बने रहो पगला
काम करेगा अगला"

मुहावरा
बड़े चाव
से सुनाता है

अपनी
सरकार को
एक सुझाव
मैं देने जा रहा हूँ

पहाड़ी
राज्य को
प्रगति के पथ पर
ले जाना चाह रहा हूँ

ये
ऎक्ट वेक्ट
खाली काहे
बदलवा रहे हो

तबादला
मंत्री का
पोर्टफोलियो एक
क्यों नहीं बना रहे हो

लाल बत्ती
के एक चाहने वाले को

क्यों नहीं
इसमें खपा रहे हो

तबादले में
सुना था
पिछली बार
बहुत कुछ
खाया जा रहा था

राज्य की
उन्नति में
उसमेंं से
धेला भी
नहीं लगाया
जा रहा था

मंत्रालय
हो जायेगा तो

एक उद्योग
पनप जायेगा

कुछ हिस्सा
तबादलाखोरी का

राज्य के
खजाने में
दो चार कौड़ी
तो जमा कर जायेगा।

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

फिल्म देखना गुनाह

फिर से शुरू कर दिया ना आपने वही शोर मचाना
छोटी सी बात को लेकर बड़ा सा हल्ला बनाना

अब तो बाज भी आ जाओ शर्म करो थोड़ा सा तो शर्माओ

क्या हो गया 
तीन मंत्री थे
देख रहे थे अपने मोबाइल में तस्वीरें ही तो कुछ
आप दुखी हो रहे हों या हो गये टी वी पै देख खुश

अच्छी पार्टी के अच्छे लोग बताये जाते हैं दिखाये जाते हैं
बुरी पार्टी के बुरे लोग बताये जाते हैं दिखाये जाते हैं
सबूत भी लाये जाते हैं फंसाये भी जाते हैं
जेल में दिखाये भी जाते हैं

खेल होते होते पुराने हो गये हैं
पहले मैदान में हो जाया करते थे
दर्शक होते थे ताली भी बजाया करते थे

सूचना क्रांति का अब जमाना भी है
खेल करना है तो विधान सभा में तो जाना ही है

हर जगह माल परोसा जा रहा है
कोई दुकान में सीधे
तो कोई दुकान के पीछे पर्दे में खा रहा है

दुकान के पीछे खाने वाला ज्यादा हल्ला मचा रहा है
अरे खा गया देखो खा गया खुले आम खा गया
अपनी प्लेट पीछे छिपा के सामने वाले को सीन दिखा रहा है

अब जब 
मेरे छोटे से स्कूल का चपरासी भी चटकारे ले कर हमें सुना रहा है
उसका साहब तो बरसों से देखता आ रहा है
कोई कैमरे वाला उसको क्यों नहीं पकड़ पा रहा है

चपरासी जी को कौन बता पायेगा
बेचारा कैमरा मैन
इस गरीब देश के कोने कोने में कैसे जा पायेगा
एक दो जगह की फोटो आपको दिखायेगा
बाकी समझायेगा

समझ जाइये अपने आप
आपका देश और देश का कर्णधार
आपको कहाँ कहाँ ले जा पायेगा

कितना अच्छा कैमरे वाला निकला
सब कुछ साफ साफ दिखा के भी नहीं फिसला
बहुत से तो खाली कुछ नहीं दिखाते
खाली पीली ध्यान हैं बटाते

जहाँ बन रही होती है असली वाली पिक्चर
वहाँ गलती से भी नहीं पहुँच पाते

पहुंच भी गये अगर तो किनारे से आँख मारकर 
कैमरे का मुँह आकाश को हैं घुमाते
आपको बताते 
चिड़ियाँ आजकल उड़ नहीं रही हैं तैर रही हैं

टी आर पी  के खेल में उलझा के पब्लिक को
किनारे से हौले से बगल की गली में निकल
कठपुतली का खेल दिखाना शुरु हो जाते

साथ में सीटी बजा के गाते
ये देश है वीर जवानो का अल्बेलों का मस्तानो का।