उलूक टाइम्स: छपवा
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शुक्रवार, 29 जून 2012

सरकारी राय

शहर का
एक इलाका
सड़क में पड़ी
पचास मीटर
लम्बी दरार
लपेट में आये
कुछ लोगों
के घर चार

जिलाधिकारी आया
साथ में
सत्ता पक्ष के
विधायक को लाया

मौका मुआयना हुआ
नीचे खुदा हुआ बहुत
बड़ा एक पहाड़
सबको सामने दिखा

कुछ दिन पहले सुना
बड़ी बड़ी मशीने
रात को आई
रात भर आवाजेंं कर
सुबह को पता नहीं
किसने कहाँ पहुँचाई

किसने खोदा
सबके मुँह
तक नाम
आ रहा था
गले तक आकर
पीछे को
चला जा रहा था

इसी लिये कोई
कुछ भी बताने
में इच्छुक नजर
बिल्कुल भी
नहीं आ रहा था

जिलाधिकारी
अपने
मातहतों के उपर
गुस्सा बरसा रहा था

अखबार में
अखबार वाला भी
खबर छपवा रहा था

नाम
पर किसी का
नहीं कहीं भी कोई
आ रहा था

हर कोई
कोई है
करके सबको
बता रहा था

सरकारी अमला
घरवालों के घरों
को तुरंत खाली
करवा रहा था

साथ में मुफ्त में
समझाये भी
जा रहा था

जब देख रहे थे
पहाड़ नीचे को
जा रहा था

तो किस बेवकूफ
के कहने पर तू यहाँ
घर बना रहा था

खोदने वाले को
कुछ नहीं
कोई कर पायेगा

भलाई तेरी
इसी में
दिख रही है
अगर
तू बिना
कुछ कहे
कहीं को
भाग जायेगा

इसके बाद
भूल कर भी
जिंदगी में
कहींं पर
घर बनाने
की गलती
दुबारा नहीं
दोहरायेगा।