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मंगलवार, 21 अगस्त 2018

फीड बैक का मतलब प्रतिक्रिया दिया जाता है जिसमें लेकिन मजा नहीं आता है फीड बैक से जैसे सब कुछ पता चल जाता है

ये
फीड बैक भी
एक
गजब का
काँसेप्ट होता है

अपने
बारे में
वैसे भी
कौन
किसी से
कुछ पूछता है

फीड बैक
का मतलब
प्रतिक्रिया
होता है

गूगल बाबा
आसानी से
समझा जाता है

पर
हिन्दी
रूपाँतरण में
मजा नहीं आता है

कहाँ
पता होता है
कौन क्या होता है

देखने से
कुछ
पता नहीं
चल पाता है

साथ
रहने पर
भी धोखा
खाया
जाता है

आदमी
की फितरत
होती है

आईना
हाथ में लेकर
वो अपनी
छोड़ कर

सामने
वाले की
फितरत
उसमें देखना
चाहता है

इसे
फीड बैक
कहा जाता है

फीड बैक

आप
के द्वारा
प्रयोग किये
जाने वाले
वाहन के
वाहन चालक
से भी
लिया जाता है

फीड बैक

आपके
घर के
सफाई
कर्मचारी
से उसकी
तबीयत
के बारे में
पूछ कर
पूछ लिया
जाता है

फीड बैक

आपकी
कामवाली
के काम की
प्रशंशा
कर के भी
खोद दिया
जाता है

ये
फीडबैक
गजब का
काँसेप्ट
हो जाता है

जब एक
फेसबुक
का मित्र
आपको

आपके
बारे में
आपकी ही
गली के
कुत्तों से
पूछ कर
कुछ आपके
भौंकने के
बारे में
आपको ही
बता ले जाता है

फीड बैक
हिन्दी नहीं है
लेकिन हिन्दी में
उसके अर्थ से
वो मजा नहीं
आ पाता है
जो फीड बैक
आपको समझा
ले जाता है

हर कोई
लगा होता है
फीड बैक लेने में
खुद का भी
अगर हो सके

लेकिन
अविश्वास का
कोई तोड़
अभी तक
बाजार में
बिकता नजर
नहीं आता है

‘उलूक’
फीड बैक लेना
तुझे नहीं आता है

तेरा
फीड बैक मगर

अगर
एक सम्मानित
लेना चाहता है

तो अपना कॉलर
तू क्यों नहीं उठाता है ?


चित्र साभार: www.dreamstime.com/

रविवार, 15 जुलाई 2012

कविता कमाल या बबाल

अखबार
में छपी
मेरी
एक कविता

कुछ
ने देख कर
कर दी
अनदेखी

कुछ
ने डाली
सरसरी नजर

कुछ
ने की
कोशिश 
समझने की

और
दी 
प्रतिक्रिया

जैसे
कहीं पर
कुछ हो गया हो

किसी
का जवान लड़का 
कहीं खो 
गया हो

हर
किसी 
के भाव

चेहरे पर 
नजर
आ जा रहे थे

कुछ 
बता रहे थे

कुछ 
बस खाली

मूँछों
के पीछे
मुस्कुरा रहे थे

कुछ 
आ आ कर
फुसफुसा रहे थे

फंला फंला 
क्या
कह रहा था

बता के
भी
जा रहे थे

ऎसा 
जता रहे थे

जैसे
मुझे 

मेरा कोई
चुपचाप 
किया हुआ
गुनाह 
दिखा रहे थे

श्रीमती जी 
को मिले
मोहल्ले के 
एक बुजुर्ग

अरे 
रुको 
सुनो तो 
जरा

क्या 
तुम्हारा वो
नौकरी वौकरी
छोड़ आया है

अच्छा खासा 
मास्टर
लगा तो था
किसी स्कूल में

अब क्या 
किसी
छापेखाने 
में
काम पर 
लगवाया है

ऎसे ही 
आज

जब अखबार में
उसका नाम 
छपा हुआ 
मैंने देखा

तुम 
मिल गयी
रास्ते में 
तो पूछा

ना 
खबर थी वो

ना कोई 
विज्ञापन था

कुछ 
उल्टा सुल्टा
सा
लिखा था

पता नहीं 
वो क्या था

अंत में 
उसका
नाम भी 
छपा था

मित्र मिल गये
बहुत पुराने

घूमते हुवे 
उसी दिन
शाम को 
बाजार में

लपक 
कर आये
हाथ मिलाये 
और बोले

पता है 
अवकाश पर
आ गये हो

आते ही 
अखबार
में छा गये हो

अच्छा किया
कुछ छ्प छपा
भी जाया करेगा

जेब खर्चे के लिये
कुछ पैसा भी
हाथ
में आया करेगा

घर 
वापस पहुंचा
तो

पड़ोसी की
गुड़िया आवाज
लगा रही थी

जोर जोर से
चिल्ला रही थी

अंकल 
आप की
कविता आज के
अखबार में आई है

मेरी मम्मी 
मुझे आज 
सुबह दिखाई है

बिल्कुल 
वैसी ही थी
जैसी मेरी 
हिन्दी की
किताब में 
होती है

टीचर 
कितनी भी
बार समझाये 

लेकिन
समझ से 
बाहर होती है

मैं उसे 
देखते ही
समझ गयी थी 

कि ये जरूर 
कोई कविता है

बहुत ही 
ज्यादा लिखा है

और
उसका 
मतलब भी
कुछ नहीं 
निकलता है।