लिख लिख
कर अपनी
बातों को
अपने से ही
बातें करता हूँ
फिर
दिन भर पन्ना
खोल खोल
कई कई बार
पढ़ा करता हूँ
मेरी बातों
को लेकर
वो सब भी
बातेंं करते हैं
मैं बातेंं ही
करता रहता हूँ
बातों बातों
में कहते
रहते हैं
इन सारी
बातों की
बातों से
एक बात
निकल कर
आती है
बातें
करने का
अंदाज किसी का
किसी किसी
की आँखों में
चुभ जाती है
कोई कर भी
क्या सकता है
इन सब बातों का
वो सीधे कुछ
कर जाते हैं
वो बातें कहाँ
बनाते हैं
मैं कुछ भी
नहीं कर
पाता हूँ
बस केवल
बात बनाता हूँ
फिर
अपनी ही
सारी बातों को
मन ही मन
पढ़ पाता हूँ
फिर
लिख पाता हूँ
कुछ बातें
कुछ बातें
लिख लिख
जाता हूँ
कुछ
लिखने में
सकुचाता हूँ
बस अपने से
बातें करता हूँ
बातों की बात
बनाता हूँ
बस बातें ही
कर पाता हूँ।
कर अपनी
बातों को
अपने से ही
बातें करता हूँ
फिर
दिन भर पन्ना
खोल खोल
कई कई बार
पढ़ा करता हूँ
मेरी बातों
को लेकर
वो सब भी
बातेंं करते हैं
मैं बातेंं ही
करता रहता हूँ
बातों बातों
में कहते
रहते हैं
इन सारी
बातों की
बातों से
एक बात
निकल कर
आती है
बातें
करने का
अंदाज किसी का
किसी किसी
की आँखों में
चुभ जाती है
कोई कर भी
क्या सकता है
इन सब बातों का
वो सीधे कुछ
कर जाते हैं
वो बातें कहाँ
बनाते हैं
मैं कुछ भी
नहीं कर
पाता हूँ
बस केवल
बात बनाता हूँ
फिर
अपनी ही
सारी बातों को
मन ही मन
पढ़ पाता हूँ
फिर
लिख पाता हूँ
कुछ बातें
कुछ बातें
लिख लिख
जाता हूँ
कुछ
लिखने में
सकुचाता हूँ
बस अपने से
बातें करता हूँ
बातों की बात
बनाता हूँ
बस बातें ही
कर पाता हूँ।
भैया !!
जवाब देंहटाएंखुब बनाते हो -
विषय भी अच्छे लाते हो-
बातें ही बातें यहाँ, धनी बात का होय ।
परहित बातें कर रहा, अपना *आपा खोय ।
अपना *आपा खोय, हास्य को है अपनाता ।
हँसने का सन्देश, सभी को सदा सुनाता ।
कुछ लोगों को किन्तु, नहीं हम दोनों भाते ।
ग्यानी उल्लू देख, लोग अक्सर मुँह बाते ।
*विनीत भाव ग्रहण करना
बहुत सारी बातें हो गई हैं बातों बातों में .......................आभार.
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