उसके
और मेरे बीच
कुछ नहीं था
ना उसने
कभी कहा था
ना मैंने कभी
कोशिश की थी
कुछ कहने की
अब आपस में
बात करने का
मतलब
कुछ
कहना होता है
ऐसा जरूरी भी
नहीं होता है
बहुत साल
आस पास
रह लेने से भी
कुछ नहीं होता है
साथ साथ
बड़ा होना
खेलना कूदना
घर आना जाना
कहीं घूमने
साथ चले जाना
एक रास्ते से
बहुत सालों तक
एक सी जगहों
को टटोलना
बहुत से लोग
करते हैं
रास्ते अलग
हो जाते हैं
लोग अलग
अलग दिशाओं
को चले जाते हैं
यादों
का क्या है
उनका काम भी
आना और जाना
ही होता है
वो भी आती
जाती रहती हैंं
कभी
किसी की
आ जाती है
कभी
किसी की
आ जाती है
कुछ देर के
लिये ही सही
बहुत से
लोगों के बीच
बहुत कुछ
होने से भी
क्या होता है
उससे भी
क्या होता है
अगर कोई
कभी
उसके
मेरे बीच
कभी भी
कुछ नहीं था
कह ही देता है।
और मेरे बीच
कुछ नहीं था
ना उसने
कभी कहा था
ना मैंने कभी
कोशिश की थी
कुछ कहने की
अब आपस में
बात करने का
मतलब
कुछ
कहना होता है
ऐसा जरूरी भी
नहीं होता है
बहुत साल
आस पास
रह लेने से भी
कुछ नहीं होता है
साथ साथ
बड़ा होना
खेलना कूदना
घर आना जाना
कहीं घूमने
साथ चले जाना
एक रास्ते से
बहुत सालों तक
एक सी जगहों
को टटोलना
बहुत से लोग
करते हैं
रास्ते अलग
हो जाते हैं
लोग अलग
अलग दिशाओं
को चले जाते हैं
यादों
का क्या है
उनका काम भी
आना और जाना
ही होता है
वो भी आती
जाती रहती हैंं
कभी
किसी की
आ जाती है
कभी
किसी की
आ जाती है
कुछ देर के
लिये ही सही
बहुत से
लोगों के बीच
बहुत कुछ
होने से भी
क्या होता है
उससे भी
क्या होता है
अगर कोई
कभी
उसके
मेरे बीच
कभी भी
कुछ नहीं था
कह ही देता है।
बढ़िया लेखन सर , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (01-06-2014) को "प्रखर और मुखर अभिव्यक्ति (चर्चा मंच 1630) पर भी है!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 25 मई 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआज अपना उलूक एक निराश दार्शनिक प्रतीत हो रहा है. मुझे और कुछ नहीं कहना है. बस, सीधे-सीधे, साफ़-साफ़, एक ही सवाल पूछना है -
जवाब देंहटाएं'वह कौन थी?'