कुछ बिल्लियाँ बिल्ले की खरीदी
कुछ बिल्लियाँ खिसियानी
कुछ करेंगी दीवाली
कुछ नोचेंगी खम्बे याद करेंगी फिर नानी
शातिर बिल्ला लगा हुआ है
बाँट रहा है जगह जगह चूहेदानी
सभा कर रहा चूहों की
जा जा कर बिलों में उनके अभिमानी
अब तो लिख दे लिखने वाले कविता उसपर
ओ उसकी दीवानी
हम भी लिखेंगे कुछ ना कुछ
कलम पकड़ कर क्यों है छुपानी
जग जाहिर है बिल्ला नहीं पकड़ रहा है चूहे
चूहे करते हैं बेइमानी
लगी हुई है खरीदी बिल्लियों की फ़ौज
कर रही है अपनी मनमानी
शब्द कई हैं बिल्ले पर कहने
एक नहीं सारे हैं गालियों में नहीं गिनानी
खड़े हो जायेंगे सारे सफेदपोश फर्जी
समझायेंगे कोर्ट कचहरी दीवानी
‘उलूक’ लिख आईना-ए-लेखक
देख सकें लिखने वाले सच की कहानी
इंतज़ार है
है मर्यादा पुरुषोत्तम
दिखेगा राम नाम सत्य ज़ुबानी ज़ुबानी |
चित्र साभार: https://www.yourquote.in/
राम नाम सत्य है।
जवाब देंहटाएंविषबुझी क़लम की नोंक बेअसर नहीं हो सकती।
विचारोत्तेजक अभिव्यक्ति सर।
प्रणाम सर
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअब तो लिख दे लिखने वाले कविता उसपर
जवाब देंहटाएंओ उसकी दीवानी
हम भी लिखेंगे कुछ ना कुछ
कलम पकड़ कर क्यों है छुपानी
बेहतरीन रचना 🙏
बिल्ले और चूहे की इस धमाचौकड़ी में हम अपना पता खोज रहे हैं जोशी जी
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंखड़े हो जायेंगे सारे सफेदपोश फर्जी
जवाब देंहटाएंसमझायेंगे कोर्ट कचहरी दीवानी
-लोकतंत्र की सच्ची कहानी