शब्द चार उधार ले जिंदगी सुधार दे
आसमां उतार ले जमीं जमीं निथार दे
कदम उठा ताल दे कहने दे बबाल दे
किसने किस को देखना आईना उबाल दे
अपना अपना देख ना उसका उस का देखना
देखने से भर गया लिबास अब उतार दे
इसे दिखा उसे दिखा सब दिखा प्रचार दे
झूठ पकड़ प्यार दे सच जकड़ सुधार दे
इधर मिला उधर मिला मिल मिला व्यापार दे
जहर मिला जहर पिला पिला पिला मार दे
‘उलूक’ तहजीब सीख और हिसाब दे
लिख ले लिखता चल जमीर को मार दे
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 11 दिसंबर को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
तहजीब सिखा दियाऔर
जवाब देंहटाएंहिसाब भी दे दिया
आज उलूक ने
आभार
सादर वंदन
वाह अप्रतिम रचना
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