उलूक टाइम्स: उधारी
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सोमवार, 7 जुलाई 2014

आता रहे कोई अगर बस प्रश्न पूछने के लिये आता है

बेशरम
भिखारी को
भी शरम
आती जाती है
जब कोई
पूछना शुरु
हो जाता है
उन सब
चीजों के
बारे में
जो नहीं
होती हैं
पास में
पूछने
वाले के

पास होते हैं
हकीकत
से लेकर
सपने सभी

जो भी मिल
जाता है
आज
बाजार में
नकद की
जरूरत
होती ही नहीं
सब कुछ
उपलब्ध
है जब
उधार में

उधारी का रहना
उधारी का गहना
उधारी की सवारी
उधारी की खुमारी
उधारी के ख्वाब
उधारी का रुआब

और
एक बेचारा
सपनों का मारा
जाती है उसकी
मति भी मारी
नहीं ले
पाता है जब
कुछ भी उधारी

झेलता है
प्रश्नो की
तीखी बौछार
पूछ्ने वाला
पूछना कुछ
नहीं चाहता है
बैचैनी उधारी
के साथ
मुफ्त में नकद
खरीद लाता है
चैन उधार में
मिलता नहीं कहीं

उस भिखारी
से पूछने
चला आता है
जो उधारी
नहीं ले पाता है
चैन से पीता है
चैन से खाता है

‘उलूक’
अपनी नजर
से ही
देखा कर
खुद को

किसी की
नजर में
किसी के
भिखारी
हो भी
जाने से
कौन
भीख में
चैन दे
पाता है
उधारी की
बैचेनी
खरीद कर
क्यों
अपनी नींद
उड़ाना
चाहता है
पूछ्ने से
क्या डरना
अगर कोई
पूछ्ने भी
चला
आता है ।