हमाम
के चित्र
बाहर
ही बाहर
तक दिखाना
तो समझ
में आता है
पता नहीं
कैमरे वाला
क्यों
किसी दिन
अंदर तक
पहुँच जाता है
कब कौन
सी बात को
कितना
काँट छाँट
कर दिखाता है
सामने बैठे
ईडियट
बाक्स के
ईडियट
‘उलूक’ को
कहाँ कुछ
समझ में
आता है
बहुत बार
बहुत से
झाडुओं
की कहानी
झाडू
लगाने वालों
के मुँह से
सुन चुका
होना ही
काफी
नहीं होता है
गजब की
बात होती है
जब झाड़ू
लगाने वाला
झाड़ू लगाने
से पहले
खुद ही कूड़ा
फैलाता है
बहुत
अच्छी तरह
से आती है
कुछ बाते
कभी कभी
समझ में
बेवकूफों
को भी
पर क्या
किया जाये
कुछ
बेवकूफों के
कहने
कहाने पर
बेवकूफ
कह रहा है
क्यों सुनते हो
बात में
दम नजर
नहीं आता है
जैसा ही
कुछ कुछ
कह दिया
जाता है
और
कुछ लोग
कुछ भी नहीं
समझते हैं
या समझना
ही नहीं
चाहते हैं
भेड़ के
रेहड़ के
भेड़ हो
लेते हैं
पता
होता है
उनको
बहुत ही
अच्छी
तरह से
भीड़ की
भगदड़
में मरने
में भी
मजा
आता है
कोई माने
या ना माने
बहुत
बोलने से
कुछ
नहीं भी
होता है
फिर भी
बोलते बोलते
कलाकारी से
एक कलाकार
बहुत सफाई से
मुद्दे चोरों के भी
चुरा चुरा कर
चोरों को ही
बेच जाता है ।
चित्र साभार: imageenvision.com
के चित्र
बाहर
ही बाहर
तक दिखाना
तो समझ
में आता है
पता नहीं
कैमरे वाला
क्यों
किसी दिन
अंदर तक
पहुँच जाता है
कब कौन
सी बात को
कितना
काँट छाँट
कर दिखाता है
सामने बैठे
ईडियट
बाक्स के
ईडियट
‘उलूक’ को
कहाँ कुछ
समझ में
आता है
बहुत बार
बहुत से
झाडुओं
की कहानी
झाडू
लगाने वालों
के मुँह से
सुन चुका
होना ही
काफी
नहीं होता है
गजब की
बात होती है
जब झाड़ू
लगाने वाला
झाड़ू लगाने
से पहले
खुद ही कूड़ा
फैलाता है
बहुत
अच्छी तरह
से आती है
कुछ बाते
कभी कभी
समझ में
बेवकूफों
को भी
पर क्या
किया जाये
कुछ
बेवकूफों के
कहने
कहाने पर
बेवकूफ
कह रहा है
क्यों सुनते हो
बात में
दम नजर
नहीं आता है
जैसा ही
कुछ कुछ
कह दिया
जाता है
और
कुछ लोग
कुछ भी नहीं
समझते हैं
या समझना
ही नहीं
चाहते हैं
भेड़ के
रेहड़ के
भेड़ हो
लेते हैं
पता
होता है
उनको
बहुत ही
अच्छी
तरह से
भीड़ की
भगदड़
में मरने
में भी
मजा
आता है
कोई माने
या ना माने
बहुत
बोलने से
कुछ
नहीं भी
होता है
फिर भी
बोलते बोलते
कलाकारी से
एक कलाकार
बहुत सफाई से
मुद्दे चोरों के भी
चुरा चुरा कर
चोरों को ही
बेच जाता है ।
चित्र साभार: imageenvision.com