उसकी बात
करना
सीख क्यों
नहीं लेता है
भीड़ से
थोड़ी सी
नसीहत क्यों
नहीं लेता है
सोचना
बन्द कर के
देख लिया
कर कभी
दिमाग को
थोड़ा आराम
क्यों नही देता है
तेरा मकसद
पूछता है
अगर
उसका झण्डा
झण्डा
नहीं हूँ
कहकर
जवाब क्यों
नहीं देता है
आइना
नहीं होता है
कई लोगों
के घर में
अपने
घर में है
कपड़े उतार
क्यों
नहीं लेता है
साथ में
रहता है
अंधा बन
पूरी आँखे
खोलकर
पूछता है
क्या
लिखता है
बता क्यों
नहीं देता है
शराफत से
नंगा हो
जाता है
भीड़ में भी
एक शरीफ
नंगों की
भीड़ को
अपना पता
पता नहीं
क्यों नहीं
देता है
बहुत कुछ
लिखना है
पता होता है
‘उलूक’
को भी
हर समय
उस के
ही लोग हैं
उसके ही
जैसे हैं
रहने भी
क्यों नहीं
देता है ।
चित्र साभार: www.fineartpixel.com
करना
सीख क्यों
नहीं लेता है
भीड़ से
थोड़ी सी
नसीहत क्यों
नहीं लेता है
सोचना
बन्द कर के
देख लिया
कर कभी
दिमाग को
थोड़ा आराम
क्यों नही देता है
तेरा मकसद
पूछता है
अगर
उसका झण्डा
झण्डा
नहीं हूँ
कहकर
जवाब क्यों
नहीं देता है
आइना
नहीं होता है
कई लोगों
के घर में
अपने
घर में है
कपड़े उतार
क्यों
नहीं लेता है
साथ में
रहता है
अंधा बन
पूरी आँखे
खोलकर
पूछता है
क्या
लिखता है
बता क्यों
नहीं देता है
शराफत से
नंगा हो
जाता है
भीड़ में भी
एक शरीफ
नंगों की
भीड़ को
अपना पता
पता नहीं
क्यों नहीं
देता है
बहुत कुछ
लिखना है
पता होता है
‘उलूक’
को भी
हर समय
उस के
ही लोग हैं
उसके ही
जैसे हैं
रहने भी
क्यों नहीं
देता है ।
चित्र साभार: www.fineartpixel.com