उलूक टाइम्स: कारोबार
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मंगलवार, 26 अगस्त 2014

बिल्ली जब जाती है दिल्ली चूहा बना दिया जाता सरदार है



नदी है नावें है बारिश है बाढ़ है
नावें पुरानी हैं छेद है पानी है
पतवार हैं हजार हैं
पार जाने को हर कोई भी तैयार है

बैठने को पूछना नहीं है कुर्सियों की भरमार है

गंजे की कंघी है
सपने के बालों को रहा संवार है

लाईन है दिखानी है
पीछे के रास्ते पूजा करवानी है
बारी का करना नहीं इंतजार है

नियम हैं कोर्ट है
कचहरी है वकील हैं
दावे हैं वादे हैं वाद हैं परिवाद हैं
फैसला करने को न्यायाधीश तैयार है

भगवान है पूजा है मंत्र हैं पंडित है 
दक्षिणा माँगने का भी एक अधिकार है

पढ़ना है पढ़ाना है स्कूल जरुरी जाना है
सीखने सिखाने का बाजार गुलजार है

धोती है कुर्ता है झोला है लाठी है
बापू की फोटो है 
मास्साब तबादले के लिये
पीने पिलाने को खुशी खुशी तैयार है

‘उलूक’ के पास काम नहीं कुछ
अड़ोस पड़ोस की चुगली का
बना लिया व्यापार है ।

बुधवार, 4 सितंबर 2013

गर तेरा हो धंधा तो कैसे हो सकता है मंदा


अमाँ ऊपर वाले
तेरे कमप्यूटर
का कार्यक्रम
क्या वाकई
ऊपर ही कहीं
बनाया जाता है
या यहीं नीचे से
कहीं से आयात
किया जाता है
या तो खुद ही तू
उसमें वायरस
भी डलवाता है
या कोई छोटा खुदा
तेरे वहाँ का ही
तेरे ऎंटी वायरस
को ही बेच खाता है
शायद मेरे जैसा
तेरे यहाँ भी
ओने पौने दामों में
ही बेचा जाता है
जो तेरी सत्ता को
मानने से इंकार
कर ले जाता है
उसके लिये तेरा
कमप्यूटर
कुछ ना कुछ
जुगाड़ जरूर
कर ले जाता है
जो बताता है
तेरे कारोबार में
कहीं तो है कुछ
जो रोज ही
कहीं ना कहीं
इधर से उधर
किया जाता है
सारे के सारे लोग
तू एक से
क्यों बनाता है
इस के पीछे तेरी
क्या मंसा है
ये तो किसी को
कभी नहीं  बताता है
कुछ लोगों को तू ही
धंधे पर लगाता है
कुछ लोगों को
धंधा हो रहा है
कि खबर दे
के आता है
कुछ ऎसे लोग
जिनके बारे में
तुझे कुछ कर
पायेंगे की नहीं
का भरोसा नहीं
हो पाता है
उनके दिमाग में
कीडे़ डलवाता है
बिना मेहनताने के
उनसे पता नहीं
क्या क्या ऊल
जलूल लिखवाता है
दो चार को लिखा हुआ
देख के आने के लिऎ
कह भी आता है
ज्यादा लोगों को
धंधा चलने  की
खबर भी नहीं
पहुंचाना चाहता है
उसके लिये कुछ
नौटंकी कुछ मजमों
के टेंट अलग अलग
जगह पर लगवाता है
ज्यादात्तर भीड़ को
उधर की तरफ ही
पहुँचा कर आता है
जिसे बाहर होना चाहिये
उसे अंदर करवाता है
जिसे अंदर होना चाहिये
उससे ही  अंदर करवाने
का धंधा करवाता है
तेरे काम तू ही जाने
मेरी समझ में वाकई
कुछ नहीं आता है
जिस दिन लिखने
के लिये कहीं कुछ
नजर नहीं आता है
ऊपर वाले तेरा ही
ख्याल आ जाता है
सबसे सही धंधा
तेरा ही चल रहा है
तभी तो तुझे ही बस
भगवान कहा जाता है !

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

बाबा

पत्रकार मित्र
कई दिन से
पाल रहे थे
अपने मन में
एक विचार
भारत में
फलते फूलते
बाबा बाजार
को देख कर
उत्साहित
हो रहे थे
दिन में एक
नहीं कई बार
किसी एक दिन
दुकान पर बैठे
अखबारी मित्र
से कर रहे थे
मगन हो कर
इसी विषय पर
कुछ विचार

भूला भटका
पहुँच बैठा 

मैं भी उधर
पूछते पूछते
कटहल का
मीठा अचार
पहुंचते ही मेरे
मित्र के मित्र ने
मेरा किया
ऊपर से नीचे
तक मुआयना
और
पेश किया
फिर
तुरत फुरत
अपना विचार
ये कब हो
रहे हैं रिटायर
इनसे भी तो
काम चलाया
जा सकता है
एक सटीक
और मस्त बाबा
इनको भी
तो बनाया
जा सकता है

बस ये जबान
नहीं खोलेंगे
बाकी जनता
को तो हम
खुद ही धो लेंगे
मित्र ने
दिया जवाब
बहुत ही
लाजवाब
रिटायर होने
की प्रक्रिया
इन लोगों के
यहाँ धीरे धीरे
बंद ही हो
जाने वाली है
अभी ये पैंसठ
पर अढ़े हुवे हैं
उसके बार मरने
मरने तक की
जाने वाली है

अभी सरकार
से बोल रहे हैं
नहीं होंगे रिटायर
उसके बाद
भगवान की भी
बारी आने वाली है
भगवान से भी
ये कहने वाले हैं
तू हमे नहीं
उठा सकता
इस धरती से अभी
हम ऊपर नहीं
आने वाले हैं
वैसे भी बाबा
के कारोबार
और
इनकी दुकान
में मिलता है
एक तरह का
ही सामान
ये पढ़ाने लिखाने
के धंधे से
अनपढों को पैदा
करते जा रहे हैं
उधर इनकी
उगाई फसल से
बाबा लोग अपनी
फैक्ट्री चला रहे हैंं 
मेरी समझ में
भी कुछ कुछ
आने लगा था
विचार मित्र
का धीरे धीरे
पैठ मन में
बनाने लगा था

क्या नुकसान है
अगर मैं बाबा
भी बन जाता हूँ
कालेज में
वैसे भी
कक्षा में
जा कर भी
कहाँ कुछ
पढ़ा पाता हूँ
हाँ
अखबार वालोंं
बुला बुला कर
फोटो जरूर
छपवाता हूँ
बाबा बन जाउंगा
तो सारे काम
अपने आप ही
होते चले जायेंगे
मित्र लोग मेरे
मेरे लिये भीड़
को जुटवायेंगे
पत्रकार हैं तो
फोटो के लिये
भी किसी को
बुलाना
नहीं पड़ेगा
मौन रहना ही है
इशारे से 

ही काम
चलाना पड़ेगा

चल पड़ी
तो विदेश
जाने का
मौका भी
बिना कुछ
करे कराये
चुटकियों में
हासिल
हो जायेगा
वीसा पास्पोर्ट
कोई बेवकूफ
बना बनाया
लाकर बिना
पैसे का
हाथ में
दे जायेगा

ढोंगी बाबा
'उलूक'
तुम भी यहीं
हम भी यहीं
देख भी लेना
हाँका लगाने
वाला मदारी
प्रिय जमूरों
की खातिर
बाबा उद्योग
का अध्यादेश
आज नहीं तो
कल किसी दिन
ले कर आयेगा
और
पक्का आयेगा।


चित्र साभार: www.jagran.com