उलूक टाइम्स: दो
दो लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
दो लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

आता माझी सटकली

आता
माझी सटकली
सोचते सोचते

किसी दिन पूरा
ही सटक जायेगा

दो और दो पाँच 

करने वालों से
पंगा लेना छोड़ दे

उनका जैसा
कभी किसी को
नहीं पढ़ा पायेगा

पाँच चार से
हमेशा ही एक
ज्यादा रहेगा
आगे बहुत दूर
निकल जायेगा

चार पर ही
अटके रहने
वाले को

गिनती करने
के काम से भी
हटा दिया जायेगा

पाँच ही से
पंच परमेश्वर
बनता है

उसे ही मंदिर में
बैठाया जायेगा

चार करने वाले
अभी भी कुछ
नहीं गया है

पाँच सीख ले
नहीं तो दो से भी
हाथ गवाँयेगा

छोड़ दे देखना

वो सब तुझे
जानबूझ कर
तेरे सामने
लाकर दिखायेगा

फर्जी
लोगों का
फर्जीवाड़ा
पंचों की राय
से ही कोई
करायेगा

शातिर जानते हैं
चार पर अटका
हुआ ही जाकर
पाँच के कारनामे
जोर शोर से गायेगा

गाना खत्म होने
से पहले फर्जी
पर्चियों के साथ
गायब हो जायेगा

भजन होंगे
भगत होंगे
रामनामी दुपट्टा
बस रह जायेगा

दो और दो पाँच
ही सिद्ध होगा
चार चार करने वाला
बस गालियाँ खायेगा

पंचों के
मंदिर बनेंगे
शिष्य भी
श्रद्धा से
फूल चढ़ायेगा

दो और दो
पाँच सीखकर
दो और दो पाँच
पढ़ायेगा

‘उलूक’
'आता माझी सटकली'
सोचते सोचते
किसी दिन पूरा
ही सटक जायेगा ।

 चित्र साभार: ingujarat.net

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

सदबुद्धि दो भगवान

एक
बुद्धिजीवी
का खोल

बहुत दिन तक
नहीं चल पाता है

जब अचानक वो
एक अप्रत्याशित
भीड़ को अपने
सामने पाता है

बोलता बोलता
वो ये भी भूल
जाता है कि
दिशा निर्देशन
करने का दायित्व
उसे जो उसकी
क्षमता से ज्यादा
उसे मिल जाता है

यही बिल्ला उसका
उसकी जबान के
साथ फिसल कर
पता नहीं लगता

किस नाली में
समा जाता है

सरे आम अपनी
सोच को कब
नंगा ऎसे में वो
कर जाता है

जोश में उसे
कहाँ समझ
में आता है

एक भीड़ के
सपने को अपने
हित में भुनाने
की तलब में
वो इतना ज्यादा
गिर जाता है

देश के टुकडे़
करने की बात
उठाने से भी
बाज नहीं आता है

उस समय उसे
भारत के इतिहास
में हुआ बंटवारा भी
याद नहीं रह जाता है

ऎसे
बुद्धिजीवियों से
देश को कौन
बचा पाता है

जो अपने घर
को बनाने के लिये
पूरे देश में
आग लगाने में
बिलकुल भी नहीं
हिचकिचाता है ।