उलूक टाइम्स: हाय
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शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

निविदा खुलने का समय है आया

दस सालों तक
कुछ ना किया हो
बस घर में बैठ के
वेतन लिया हो
ऎसा अनुभव
नहीं बटोर पाया
निविदा निकली थी
अखबारों में
सर्वोच्च पद के लिये
मुझ पति ने
उस पति के आसन
तक पहुँचने का
हाय बहुत सुंदर मौका
यूँ ही है गँवाया
निविदा के कितने
सील बंद लिफाफे
हो चुके हैं जमा
राज्यपिता के संदूक में
अभी तक राज ये
नहीं है खुल पाया
मुख्यमंत्री अब जब
भारी मतों से है
जीत कर आया
आशा जगी है
'ए' क्लास आवेदकों में
जिसने अपना भाग्य
लिफाफे में है
बंद करवाया
चुनाव जीत कर
मुख्यमंत्री घोषणा
है कर आया
ना जाति का है
ना क्षेत्र का है
बस है इसी राज्य का
जिसने है उन्हें जिताया
नवनिर्माण की निविदा
तो है नहीं यह
पुराने निर्माण को
खोदने की ताकत
लेकर देखना है
अब कौन है आया
पता भी तब चलेगी
यह बात हमको
कि सबसे बडी़
बोली कौन है
दे कर के आया ।

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

नमस्ते हैलो हाय

नमस्ते हैलो हाय
वो जब उधर से आई
इधर की महिलायें भी
जवाब में मुस्कुराई
बहुत दिन से आप
नहीं दी हमको दिखाई
हाँ रे मै ना ज्यादातर
उधर से ही आती हूँ
और इधर से चली जाती हूँ
आप लोग इधर से आते होंगे
उधर से चले जाते होंगे
तभी तो हम सालभर में
कभी कभी टकराते होंगे
वैसे भी मैं तो स्कूटी
से ही आ पाती हूँ
कभी कभी ना उनसे
कार से भी छुड़वाती हूँ
पैदल रास्ते यहां के
और गाड़ी की सड़क
भी यहां कहीं मिलाये
नहीं गये हैं
मोड़ मोड़ कर
रास्तों को रास्ते से
उलझाये से गये हैं
जो जिस रास्ते से
यहां आ पाते है
उसी तरह के लोगो
से मेलमिलाप बढा़ते हैं
अब क्या करें साल में
मजबूरी हो जाती है
परीक्षाओं के बहाने
सब लोगों को एक
दूसरे से नमस्ते
हैलो हाय कह कर
मुस्कुराने की प्रैक्टिस
तो कराती है।