अब बातें
तो बातें है
कुछ भी
कर लो
कहीं भी
कर लो
मुसीबत
तो तब
हो जाती है
जब बातें
दो
अलग अलग
तरह की
सोच रखने
वालों के
बीच हो
जाती हैंं
बातें
सब से
ज्यादा
परेशान
करती हैंं
एक
जमीन
से जुड़ने
की कोशिश
करने वाले
आदमी को
जो
कभी
गलती से
हवा
में बात
करने
वालों मेंं
जा कर
फंस
जाता है
ना उड़
पाता है
ना ही
जमीन पर
ही आ
पाता है
जो हवा
में होता है
उसे क्या
होता है
खुद हवा
फैलाता है
बातों
को भी
हवा में
उड़ाता है
हवा में
बात करने
वाले को
पता होता है
कुछ ऐसा
कह देना है
जो
कभी भी
और
कहीं भी
नहीं होना है
जो
जमीनी
हकीकत है
उससे
किसी
को क्या
लेना होता है
पर
बस
एक बात
समझ में
नहीं आती है
हवा
में बात
करने वालों
की टोली
हमेशा
एक
जमीन
से जुड़े
कलाकार को
अपने
कार्यक्रमों का
हीरो बनाती है
बहुत सारी
हवा होती है
इधर भी
होती है
उधर भी
होती है
हर चीज
हवा में
उड़ रही
होती है
जब
सब कुछ
उड़ा दिया
जाता है
हर एक
हवाबाज
अपने अपने
धूरे में जाकर
बैठ जाता है
जमीन से
जुड़ा हुआ
बेचारा
एक
जोकर
बन कर
अपना
सिर खुजाता हुआ
वापस
जमीन
पर लौट
आता है
एक
सत्य को
दूसरे सत्य से
मिलाने में
अपना जोड़
घटाना भी
भूल जाता है
पर
क्या किया जाय
आज
हवा बनाने
वालों को ही
ताजो तख्त
दिया जाता है
जमीन
की बात
करने वाला
सोचते सोचते
एक दिन
खुद ही
जमींदोज
हो जाता है ।
तो बातें है
कुछ भी
कर लो
कहीं भी
कर लो
मुसीबत
तो तब
हो जाती है
जब बातें
दो
अलग अलग
तरह की
सोच रखने
वालों के
बीच हो
जाती हैंं
बातें
सब से
ज्यादा
परेशान
करती हैंं
एक
जमीन
से जुड़ने
की कोशिश
करने वाले
आदमी को
जो
कभी
गलती से
हवा
में बात
करने
वालों मेंं
जा कर
फंस
जाता है
ना उड़
पाता है
ना ही
जमीन पर
ही आ
पाता है
जो हवा
में होता है
उसे क्या
होता है
खुद हवा
फैलाता है
बातों
को भी
हवा में
उड़ाता है
हवा में
बात करने
वाले को
पता होता है
कुछ ऐसा
कह देना है
जो
कभी भी
और
कहीं भी
नहीं होना है
जो
जमीनी
हकीकत है
उससे
किसी
को क्या
लेना होता है
पर
बस
एक बात
समझ में
नहीं आती है
हवा
में बात
करने वालों
की टोली
हमेशा
एक
जमीन
से जुड़े
कलाकार को
अपने
कार्यक्रमों का
हीरो बनाती है
बहुत सारी
हवा होती है
इधर भी
होती है
उधर भी
होती है
हर चीज
हवा में
उड़ रही
होती है
जब
सब कुछ
उड़ा दिया
जाता है
हर एक
हवाबाज
अपने अपने
धूरे में जाकर
बैठ जाता है
जमीन से
जुड़ा हुआ
बेचारा
एक
जोकर
बन कर
अपना
सिर खुजाता हुआ
वापस
जमीन
पर लौट
आता है
एक
सत्य को
दूसरे सत्य से
मिलाने में
अपना जोड़
घटाना भी
भूल जाता है
पर
क्या किया जाय
आज
हवा बनाने
वालों को ही
ताजो तख्त
दिया जाता है
जमीन
की बात
करने वाला
सोचते सोचते
एक दिन
खुद ही
जमींदोज
हो जाता है ।
सच बातों का क्या ? कुछ भी कर लीजिये ,कहीं भी क़र लीजिये ...सुन्दर
जवाब देंहटाएंअच्छा राजनीतिक तंज-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी-
बाज बाज आता नहीं, भरता रहे उड़ान |
नीचे कुछ भाता नहीं, खुद पर बड़ा गुमान |
खुद पर बड़ा गुमान, कहाँ उल्लू में दमखम |
लेता आँखें मीच, धूप की ऐसी चमचम |
पर गुरुत्व सिद्धांत, इक दूजे को खींचे |
रख धरती पर पैर, लौट आ प्यारे नीचे ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
जवाब देंहटाएंदो विचारों का टकराव बहुत भयानक होता है
जवाब देंहटाएंछोटी सी बात भी बेवजह तूल पकड़ लेती है …
बाज बाज आता नहीं, भरता रहे उड़ान |
जवाब देंहटाएंनीचे कुछ भाता नहीं, खुद पर बड़ा गुमान |
खुद पर बड़ा गुमान, कहाँ उल्लू में दमखम |
लेता आँखें मीच, धूप की ऐसी चमचम |
पर गुरुत्व सिद्धांत, इक दूजे को खींचे |
रख धरती पर पैर, लौट आ प्यारे नीचे ||
लाजबाब कमेंट्स ...बधाई रविकर जी,,,
एक अच्छी सोच है !
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 02 मार्च 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजमीन
जवाब देंहटाएंकी बात
करने वाला
सोचते सोचते
एक दिन
खुद ही
जमींदोज
हो जाता है ।
बहुत सुन्दर ...सार्थक...।
वाह!!!