किसी
का शौक
किसी के
लिये मौज
किसी के
लिये काम
और
किसी के लिये
धंधा होता होगा
अपने
लिये तो
बस एक
मजबूरी
हो जाता है
किसी
डाक्टर ने
भी नहीं
कहा कभी
पर जिंदा
रहने के लिये
लिखना
बहुत जरूरी
हो जाता है
क्या किया जाये
अगर
अपने ही
चारों तरफ
मुर्दा मुर्दों
के साथ
दिखना शुरु
हो जाता है
जीवन
मृत्यू का गुलाम
हो जाता है
ऐसे समय में
ही महसूस होना
शुरु हो जाता है
अपनी
लाश को
ढो लेना
सीख लेना
कम से कम
बहुत जरूरी
हो जाता है
हर जगह लगे
होते हों अगर पहरे
सैनिक और सिपाही
चले गये हों
नींद में बहुत गहरे
रोटी छीनने वाला
ही एक रसोईया
बना दिया जाता है
ऐसे में भूखा सोना
मजबूरी हो जाता है
लिखने से भूख
तो नहीं मिटती
पर लिखना बहुत
जरूरी हो जाता है
हर जगह हर कोई
तलाश में रहने
लगता है एक कंधे के
अपने सबसे खास
के पीछे से उसी के
कंधे पर बंदूक रख
कर गोलियाँ चलाता है
गिरे खून का हिसाब
करने में जब दिल
बहुत घबराता है
जिंदा रहने के लिये
ऐसे समय में ही
लिखना बहुत जरूरी
हो जाता है
कोई किसी के लिये
लिखता चला जाता है
कोई खुद से खुद को
बचाना तक नहीं
सीख पाता है
लिखना तब भी
जरूरी हो जाता है
इस खाली जगह पर
एक लगाम जब तक
कोई नहीं लगाता है
लिखना बहुत
जरूरी हो जाता है
मकड़ियाँ जब बुनने
लगे मिल कर जाल
मक्खियों के लिये
कोई रास्ता नहीं
बच पाता है
कभी कहीं तो लगेगी
शायद कोई अदालत
का विचार अंजाने
में कभी आ ही जाता है
सबूत जिंदा रखने
के लिये भी कभी
लिखना बहुत
जरूरी हो जाता है।
का शौक
किसी के
लिये मौज
किसी के
लिये काम
और
किसी के लिये
धंधा होता होगा
अपने
लिये तो
बस एक
मजबूरी
हो जाता है
किसी
डाक्टर ने
भी नहीं
कहा कभी
पर जिंदा
रहने के लिये
लिखना
बहुत जरूरी
हो जाता है
क्या किया जाये
अगर
अपने ही
चारों तरफ
मुर्दा मुर्दों
के साथ
दिखना शुरु
हो जाता है
जीवन
मृत्यू का गुलाम
हो जाता है
ऐसे समय में
ही महसूस होना
शुरु हो जाता है
अपनी
लाश को
ढो लेना
सीख लेना
कम से कम
बहुत जरूरी
हो जाता है
हर जगह लगे
होते हों अगर पहरे
सैनिक और सिपाही
चले गये हों
नींद में बहुत गहरे
रोटी छीनने वाला
ही एक रसोईया
बना दिया जाता है
ऐसे में भूखा सोना
मजबूरी हो जाता है
लिखने से भूख
तो नहीं मिटती
पर लिखना बहुत
जरूरी हो जाता है
हर जगह हर कोई
तलाश में रहने
लगता है एक कंधे के
अपने सबसे खास
के पीछे से उसी के
कंधे पर बंदूक रख
कर गोलियाँ चलाता है
गिरे खून का हिसाब
करने में जब दिल
बहुत घबराता है
जिंदा रहने के लिये
ऐसे समय में ही
लिखना बहुत जरूरी
हो जाता है
कोई किसी के लिये
लिखता चला जाता है
कोई खुद से खुद को
बचाना तक नहीं
सीख पाता है
लिखना तब भी
जरूरी हो जाता है
इस खाली जगह पर
एक लगाम जब तक
कोई नहीं लगाता है
लिखना बहुत
जरूरी हो जाता है
मकड़ियाँ जब बुनने
लगे मिल कर जाल
मक्खियों के लिये
कोई रास्ता नहीं
बच पाता है
कभी कहीं तो लगेगी
शायद कोई अदालत
का विचार अंजाने
में कभी आ ही जाता है
सबूत जिंदा रखने
के लिये भी कभी
लिखना बहुत
जरूरी हो जाता है।
मक्खी और मकड़ी की जिन्दगी का सार।
जवाब देंहटाएंलिखना एल लेखक के जीवन की आवश्यकता है ... परन्तु किन परिस्थियों और हादसों के बीच वह लिख रहा है .. यह वाकई एक विडम्बना है ... एक बहुत भावोद्द्वेलित करने वाली रचना !
जवाब देंहटाएंकितनी सारी बातों के लिये लिखना जरूरी होजाता है। कभी मन की उमंग बांचने के लिये त कभी भडास निकालने के लिये।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति को आज की जगजीत सिंह जी की 73वीं जयंती पर विशेष बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंलिखना सचमुच एक क्रांति है!!
जवाब देंहटाएंवसंत-काल की सभी मित्रों को कोटि कोटि मीठी मीठी वधाइयां !
जवाब देंहटाएंआप की यह रचना सटीक है, !
सबूत जिंदा रखने
जवाब देंहटाएंके लिये भी कभी
लिखना बहुत
जरूरी हो जाता है !
बहुत सुंदर.
bahut hi goodh baat kahi hai. behtareen rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen