पता
नहीं चलता है
नहीं चलता है
मगर
कुछ लोग
समय के साथ
बरगद हो जाते हैं
ऐसा नहीं है
कि लोग
बरगद होना नहीं चाहते हैं
लोग
जन्म से बरगद ही होते हैं
बस
उगना
फिर बड़ा हो कर
विशाल आकार लेकर
आसमान और जमीन के बीच
फैल जाना
सब नहीं कर पाते हैं
कुछ
बरगद होकर
शुरु कर देते हैं
दूसरों को बरगद बनाना
इसे
कार्यक्रम कहें या क्रियाकर्म
फर्क
ज्यादा नहीं होता है
पूरा ढिंढोरा
पीटा जाता है
समाज के हर बरगद हो चुकों को
न्यौता भेजा जाता है
नींव रखी जाती है
एक करोड़
बरगद के जंगल बनाने
और
सामाजिक पर्यावरण को बचाने
फिर
मजबूत किये जाने के
सपने दिखा कर
दूरगामी उद्देश्य का
एक बहुत बड़ा खाका
पेश किया जाता है
सांयकालीन सत्र में
अखबारी बरगदों के साथ
संगीतमय समां बंधवा कर
सुबह की खबरों का
ठेका दिया जाता है
ये सारा
खुलेआम किया जाता है
जोर शोर से पर्दे उखाड़ कर
प्रचारित प्रसारित किया जाता है
सभा समाप्त होती है
पर्दा गिरा दिया जाता है
अब शुरु होता है
आकृष्ट करना
लोगों को
बरगद हो लेने के सुनहरे मौके का
एक
बरगदी सपना
फैलाया जाता है
बरगद बनाने शुरु किये जाते हैं
सबसे पहले
जमीन की मिट्टी से
उसे अलग किया जाता है
चारों ओर से घेर कर
थोड़ी मिट्टी थोड़ा पानी थोड़ी हवा
की जगह में
एक
गमले में
बरगद होने के लिये
छोड़ दिया जाता है
समय काटने
के इन्तजामात
किये जाते हैं
बीच बीच में
पूरा जवान हो चुके
बरगद का चित्र दिखाया जाता है
ध्यान
बंटते ही
बढ़ते पनपते
जवान बरगद की
बढ़ती शाखाओं और जड़ों को
कलम कर दिया जाता है
बरगद बनता है
समय निकलता है
सबसे पहले
जमीन की मिट्टी से
उसे अलग किया जाता है
चारों ओर से घेर कर
थोड़ी मिट्टी थोड़ा पानी थोड़ी हवा
की जगह में
एक
गमले में
बरगद होने के लिये
छोड़ दिया जाता है
समय काटने
के इन्तजामात
किये जाते हैं
बीच बीच में
पूरा जवान हो चुके
बरगद का चित्र दिखाया जाता है
ध्यान
बंटते ही
बढ़ते पनपते
जवान बरगद की
बढ़ती शाखाओं और जड़ों को
कलम कर दिया जाता है
बरगद बनता है
समय निकलता है
बरगद
कब बोनसाई हो गया
‘उलूक’
बस ये
कोई नहीं जान पाता है
बस
ऐसे ही किसी दिन
एक नया
कोई
बरगद होने के सपने के जालों में
फंस कर चला आता है
बोनसाई
उखाड़ कर
कहीं फेंक दिया जाता है
एक
नया सपना
उगने फैलने
फिर
छंटने कटने के लिये
प्रस्तुत हो जाता है
अखबार सुबह का
बरगद बनाने
और
जंगल उगाने के लिये
किसी को
सरकारी सम्मान मिलने के
समाचार से
पटा नजर आता है ।
चित्र साभार: https://www.patrika.com/
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१४/०८/२०२० को
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बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबरगद कब बोनसाई हो गया
जवाब देंहटाएं‘उलूक’
बस ये
कोई नहीं जान पाता है....लाज़वाब!!!
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 15 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबरगद होना आसान नहीं है, ये और बात है कि बोन्साई को जब उखाड़ कर फेंक दिया जाता है तब उसे एहसास होता है कि काश ! वो बोन्साई न होता.. बरगद ही होता।
जवाब देंहटाएंसादर
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सर!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (16-08-2020) को "सुधर गया परिवेश" (चर्चा अंक-3795) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
सुन्दर सृजन ! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सर !
जवाब देंहटाएंसपने बरगद के सिमट गये बोनसाई में।
जवाब देंहटाएंलाजवाब!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
बरगद होने की कोशिश की पर बड़े बरगदों के कार्यक्रम या क्रियाक्रमों के तहत उसे गमले में सीमित कर बढ़ती शाखाओं को काटकर अंततः बोनसाई के रूप में पूरा हुआ उसका सपना...
जवाब देंहटाएंयही तो हो रहा है समाज में आजकल
वाह!!!
लाजवाब सृजन।
रा ढिंढोरा पीटा जाता है
जवाब देंहटाएंसमाज के हर बरगद हो चुकों को
न्यौता भेजा जाता है ,,,,
नींव रखी जाती है ,,,,,,,,।।बहुत बढ़िया ।
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहम भी कुछ-कुछ बरगद के दरख़्तों की तरह हैं,
जवाब देंहटाएंजहाँ दिल लग जाए वहाँ ताउम्र खड़े रहते हैं।
बरगद का भी बोनसाई हो गया है कोई शक नहीं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उड़ान फिर भी पैर धरती पर !
आधुनिक मानव जीवन के यथार्थ की बेहतरीन प्रस्तुति। हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंकैसी-कैसी विकृत परिणतियां सामने आती हैं फिर भी.....
जवाब देंहटाएं१
लाजवाब लेख है, हमारे ब्लॉग पर भी एक बार जरूर आएं प्रेरणादायक सुविचार
जवाब देंहटाएंवाह !!!!एक और लाजवाब दर्शन जीवन का उलूक की नज़र से
जवाब देंहटाएंकुछ लोग बरगद होते हैं कुछ होना चाहते हैं | समाज की छद्म विद्रूपता एक बरगद होते इंसान को बोनसाई बनाकर भी कहाँ जीने देती है !! रसातल में उतरने को मजबूर कर उसे मिटा ही देती है | अविस्मरनीय प्रस्तुति के लिए बधाई आदरणीय सुशील जी | सादर
कहाँ आसान है बरगद हो जाना ... आज तो जीवन दर्शन से भरपूर रचना है ...
जवाब देंहटाएंUniversity of Perpetual Help System Dalta Top Medical College in Philippines
जवाब देंहटाएंUniversity of Perpetual Help System Dalta (UPHSD), is a co-education Institution of higher learning located in Las Pinas City, Metro Manila, Philippines. founded in 1975 by Dr. (Brigadier) Antonio Tamayo, Dr. Daisy Tamayo, and Ernesto Crisostomo as Perpetual Help College of Rizal (PHCR). Las Pinas near Metro Manila is the main campus. It has nine campuses offering over 70 courses in 20 colleges.
UV Gullas College of Medicine is one of Top Medical College in Philippines in Cebu city. International students have the opportunity to study medicine in the Philippines at an affordable cost and at world-class universities. The college has successful alumni who have achieved well in the fields of law, business, politics, academe, medicine, sports, and other endeavors. At the University of the Visayas, we prepare students for global competition.