उलूक टाइम्स: हर किसी को करना है बहुत कुछ ऐसा जो तेरे हिसाब का कुछ भी नहीं

बुधवार, 6 अगस्त 2025

हर किसी को करना है बहुत कुछ ऐसा जो तेरे हिसाब का कुछ भी नहीं

पता है लिख रहे हो तुम
बहुत कुछ बहुत संजीदा सा
मगर इस दुनियां का
उसमें कुछ भी नहीं

सारे जवाब हैं
तुम्हारे खुद के प्रश्नों के हैं
और हैं भी सटीक
किसी के मतलब का
उसमें कुछ भी नहीं

नदी ने
सवाल नहीं पूछे हैं कभी भी
बस चल दी है
लाव लश्कर के साथ
अपने ही रास्ते
तेरा कुछ हुआ क्या
कुछ भी नहीं

कविता लिखने में
किसने कह दिया तुझसे
सवाल होने जरूरी होते हैं
रहने भी दे
होना नहीं है कुछ
कुछ भी नहीं

कुछ होने के लक्षण
कुछ करने वालों के
लक्षणों से मिलाए जाते हैं
जैसे कुण्डली के
कुछ गुण होते हैं
कुछ भी नहीं

कुछ भी
और कुछ भी नहीं में
अंतर किसे समझाए कोई कुछ
समझदानी किसी की छोटी
किसी की बहुत बड़ी
किसी की कुछ भी नहीं 

‘उलूक’ रहने क्यों नहीं देता है
सबको अपने अपने हिसाब से
जब हर किसी को करना है
बहुत कुछ ऐसा
जो तेरे हिसाब का
कुछ भी नहीं

चित्र साभार:https://www.shutterstock.com/


2 टिप्‍पणियां:

  1. जब कोई मौन होकर पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का वहन करे और बदले में उसकी
    अस्मिता पर प्रहार किया जाए तो आख़िर कब तक मौन रहा जा सकता है।
    होता तो बहुत कुछ है कुछ न होकर भी।
    सादर प्रणाम सर।
    -------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अगस्त २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. सभी को सबकुछ करना है मगर अपने हिसाब से चाहे उससे किसी को दुःख पहुचे या खुशी हो, मगर करना तो है कुछ ऐसा जिसमें सबकुछ अपने हिसाब से हो 🙏

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