पता है लिख रहे हो तुम
बहुत कुछ बहुत संजीदा सा
मगर इस दुनियां का
उसमें कुछ भी नहीं
बहुत कुछ बहुत संजीदा सा
मगर इस दुनियां का
उसमें कुछ भी नहीं
सारे जवाब हैं
तुम्हारे खुद के प्रश्नों के हैं
और हैं भी सटीक
किसी के मतलब का
उसमें कुछ भी नहीं
तुम्हारे खुद के प्रश्नों के हैं
और हैं भी सटीक
किसी के मतलब का
उसमें कुछ भी नहीं
नदी ने
सवाल नहीं पूछे हैं कभी भी
बस चल दी है
लाव लश्कर के साथ
अपने ही रास्ते
तेरा कुछ हुआ क्या
कुछ भी नहीं
सवाल नहीं पूछे हैं कभी भी
बस चल दी है
लाव लश्कर के साथ
अपने ही रास्ते
तेरा कुछ हुआ क्या
कुछ भी नहीं
कविता लिखने में
किसने कह दिया तुझसे
सवाल होने जरूरी होते हैं
रहने भी दे
होना नहीं है कुछ
कुछ भी नहीं
किसने कह दिया तुझसे
सवाल होने जरूरी होते हैं
रहने भी दे
होना नहीं है कुछ
कुछ भी नहीं
कुछ होने के लक्षण
कुछ करने वालों के
लक्षणों से मिलाए जाते हैं
जैसे कुण्डली के
कुछ गुण होते हैं
कुछ भी नहीं
कुछ करने वालों के
लक्षणों से मिलाए जाते हैं
जैसे कुण्डली के
कुछ गुण होते हैं
कुछ भी नहीं
कुछ भी
और कुछ भी नहीं में
अंतर किसे समझाए कोई कुछ
समझदानी किसी की छोटी
किसी की बहुत बड़ी
किसी की कुछ भी नहीं
‘उलूक’ रहने क्यों नहीं देता है
सबको अपने अपने हिसाब से
जब हर किसी को करना है
बहुत कुछ ऐसा
जो तेरे हिसाब का
कुछ भी नहीं
और कुछ भी नहीं में
अंतर किसे समझाए कोई कुछ
समझदानी किसी की छोटी
किसी की बहुत बड़ी
किसी की कुछ भी नहीं
‘उलूक’ रहने क्यों नहीं देता है
सबको अपने अपने हिसाब से
जब हर किसी को करना है
बहुत कुछ ऐसा
जो तेरे हिसाब का
कुछ भी नहीं
चित्र साभार:https://www.shutterstock.com/
जब कोई मौन होकर पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का वहन करे और बदले में उसकी
जवाब देंहटाएंअस्मिता पर प्रहार किया जाए तो आख़िर कब तक मौन रहा जा सकता है।
होता तो बहुत कुछ है कुछ न होकर भी।
सादर प्रणाम सर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अगस्त २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सभी को सबकुछ करना है मगर अपने हिसाब से चाहे उससे किसी को दुःख पहुचे या खुशी हो, मगर करना तो है कुछ ऐसा जिसमें सबकुछ अपने हिसाब से हो 🙏
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