उलूक टाइम्स: खतो किताबत
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बुधवार, 3 मार्च 2021

बकवास बिना कर लगे है करिये कोई नहीं है जो कहे सब पैमाने में है

 

सालों हो गये
कुछ लिख लेने की चाह में
कुछ लिखते लिखते पहुँच गये
आज इस राह में

शेरो शायरी खतो किताबत
पता नहीं क्या क्या सुना गया लिखा गया

याद कुछ नहीं रहा
बस एक मेरे लिखे को
तेरे समझ लेने की चाह में

वो सारे
तलवार लिये बैठे हैं हाथ में
सालों से
कलम छोड़ कर बेवकूफ
तू लगता है
ले कर बैठेगा एक कलम भी कब्रगाह में

उनके साथ हैं
उन की जैसी सोच के लोग हैं

और 
बड़ी भीड़ है 
कोई बात नहीं है 

तेरा जैसा है ना एक आईना 
देख ले खुश हो ले 
तेरे साये में है

झूठ के साथ हैं 
कई झूठ हैं सब साथ में हैं
आज हैं और डरे हुऐ हैं
डराने में हैं

जहर खा लो कह लो
कह देने वाले
कहीं कोने में बैठे हैं बेगानों में हैं

‘उलूक’
लिखना है तुझे
कुछ बकवास सा ही हमेशा

कोई
कर नहीं लगना है
इस वित्तीय साल का
अंतिम महीना भी अब
कुछ कुछ
निकल जाने में है।

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/