उलूक टाइम्स: तबीयत
तबीयत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तबीयत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

बिना पत्थर खुद को उछालता हुआ सामने से पत्थर की तस्वीर हाथ में लिए खुद को ही कोई लहरा रहा था

 

सब ही तो उछाल रहे हैं बड़ी तबीयत से उछाल रहें है
एक नहीं कई पत्थर आसमान की और बिना किसी शोर
और आसमान है
कि होने ही नहीं देता है एक भी छेद कितना भी लगाले कोई जोर

आसमान भी जानता है आसमान भी पहचानता है
पत्थर को भी और उसे उछालने वाले को भी बहुत अच्छी तरह से
वो नहीं रहा कभी भी किसी की ओर

आसमान की परेशानी आज कुछ और है
जिस पर उस का नहीं चल रहा कोई जोर है
वो वो है
जिसके पास ना कोई पत्थर रहा कभी
ना उसे किसी पत्थर से मतलब रहा
उसके मन में ही चोर है

कल जब करोड़ों पत्थर आसमान की तरफ जा रहे थे
हर किसी के ख़्वाब में होते हुए छेद महसूस किये जा रहे थे
कोई छेद की ओट में बैठा धुआं बना रहा था
किसी एक पत्थर पर छपा ले जाए खुद का नाम योजना बना रहा था
आसमान मुस्कुरा रहा था
नजर रहती है क्योंकि उसकी चारों ओर

हुआ छेद जैसे ही आसमान में
तालियों से आसमान गडगडा रहा था
एक पत्थर ने नहीं किया छेद करोड़ों छेदों से हुआ है आसमान पटा
दूरदर्शन बताना चाह रहा था
बिना पत्थर खुद को उछालता हुआ सामने से
पत्थर की तस्वीर हाथ में लिए खुद को ही कोई लहरा रहा था

देश समझ रहा था पहचान रहा था
अचानक दूरदर्शन में देखने वालों की संख्या में बहुत बडी गिरावट
आने वाले समय को अच्छी तरह समझा रहा था

चलो चंद्रयान के बहाने ही सही
 ‘उलूक’ एक पत्थर तबीयत से तो उछालो यारो का मतलब
सारे देश को आज फिर से
बहुत अच्छी तरह से समझ में आ रहा था |

शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

करेगा कोई करे कुछ भी बता देगा वो उसी को एक साँस में और एक ही बार में

है कुछ भी
अगर पास तेरे
बताने को
क्यों रखता है
छिपा कर अपने
भेजे में संभाल के
देख ले क्या पता
कुछ हो ही जाये
कोशिश तो कर
छोटी सी ही सही
हिम्मत कर के
तबीयत से हवा में
ही ज्यादा नहीं तो
थोड़ा सा ही
ऊपर को उछाल के
तैरता भी रहेगा
माना कुछ कुछ
कुछ समय तक
समय की धार में
नहीं भी पकड़ेगा
कोई समझ कर
कबूतर का पंख
जैसा कुछ भी
अगर मान के
आकार में मिट्टी
या धूल का
एक गोला जैसा
ही कुछ देखेगा
कुछ देर के लिये
सामने अपनी
किसी दीवार के
खुश ही हो ले
दीवाना कोई
फुटबॉल ही समझ
लात मार कर
कहीं किसी गोल
में ले जा कर
ही डाल के
दो चार छ: आठ
बार में कुछ
करते करते
कई दिनों तक
कुछ हो ही जाये
यूँ ही कुछ कहीं
भी कभी एक दिन
किसी मंगलवार के
एक कहने वाला
कर जाये दो मिनट
में आकर बात फोड़
उस कमाल पर
करके धमाल
अपने जीभ की
तलवार की
तीखी धार के
तेरे कहने को
ना कहने से भी
होने जा रहा
कुछ नहीं है
निकलना है जब
तस्वीर का
उसके ही बोल
देने का
सब कुछ
पन्ने में
उसके ही किसी
अखबारों के
अखबार के
सोच ले ‘उलूक’
जमा करने पर
नहीं होना है
कुछ भी को
जमा कर लेने पर
कौड़ियों की सोच
का कोई खरीददार
नहीं मिलता है
इस जमाने की
दुकानों में
किसी भी
बाजार के ।

चित्र साभार: http://www.canstockphoto.com